महाअष्टमी पर करें महानिशा पूजा

Mahishashmi perform Mahishisha worship
महाअष्टमी पर करें महानिशा पूजा
महाअष्टमी पर करें महानिशा पूजा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर 9 दिन मां दर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। देवी के हर रूप का अपना एक महत्व होता है। इस अवसर पर लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत-उपवास रखते हैं, विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। मां को प्रसन्न करने के लिए लोग हर वो काम करते हैं जो मां को प्रिय होता है। जिस प्रकार नवरात्र में हर एक दिन का विशेष महत्व होता है, वैसे ही महाष्टमी का भी अपना ही एक महत्व होता है। इस दिन भी लोग अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए महानिशा काल में विशेष पूजा करते हैं.
 

नवरात्र में महाष्टमी तिथि के महानिशा काल में देवी महागौरी की पूजा की जाती है। महानिशाकाल मध्य रात्रि से शुरू होतै है, इसलिए सकी पूजा भी मध्यरात्रि में ही की जाती है जिसका विशेष महत्व होता है। महानिशा काल को महानिशीथ काल भी कहते हैं। इस रात को बलि का विधान है। बलि से तात्पर्य है अपनी प्रिय से प्रिय वस्तु का समर्पण करना। शास्त्रों के अनुसार अष्टमी जिस दिन मध्य रात्रि में प्राप्त हो उसी दिन रात को महानिशा पूजा की जाती है।
 

देवी उपासना के लिए महाष्टमी तिथि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसी रात को महानिशा पूजा की जाती है। माता महागौरी भगवान शंकर की अर्धांगिनी होने के नाते समस्त कामनाओं को पूरा करती हैं। ये सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी हैं। माना जाता है कि इसी दिन मां महागौरी की उत्पत्ति भी थी। इस दिन अन्नपूर्णा के पूजन से घर में कभी धन धान्य की कमी नहीं रहती।
 

महाष्टमी को मध्य रात्रि में महानिशा पूजा की जाती है। इस दिन भक्त देवी जागरण करते हैं। इसके अलावा रात्रि में देर तक जगकर मां जगदम्बे की विशेष पूजा अर्चना विधि विधान से की जाती है। इसके साथ कई धार्मिक अनुष्ठान द्वारा माता को प्रसन्न किया जाता है। रातभर जागकर माता की पूजा और अनुष्ठान कर इस दिन भक्त अपनी विशेष मनोकामनाएं पूरी करते हैं और सफलता  हासिल करते हैं। 

Created On :   23 March 2018 8:27 PM IST

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