नवरात्रि का चौथा दिन : आज करें मां कुष्मांडा की पूजा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवदुर्गा का चौथा स्वरूप है कुष्मांडा। नवरात्रि के चौथे दिन देवी के इसी स्वरूप की पूजा की जाती है। इनकी आठ भुजाएं हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजी देवी भी कहा जाता है। कुष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़ा और मां को कुम्हड़ा बहुत प्रिय है, इसलिए इन्हें कुष्मांडा देवी कहा जाता है। मां कुष्मांडा की आराधना से इंसान जीवन के तमाम कष्टों से मुक्त हो जाता है। विशेषकर कुंडली के बुध से जुड़ी परेशानियां मां कुष्मांडा दूर करती हैं।
कुष्मांडा देवी कौन हैं?
मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की सी हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था, जिस वजह से इनका नाम कुष्मांडा पड़ा। ये देवी अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं। इस देवी का वास सूर्यलोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही चमकदार है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।
नवदुर्गा में कुष्मांडा स्वरूप की उपासना करने वाले साधक को धन-धान्य और संपदा के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां कुष्मांडा देवी के तेज मात्र से ही साधक को शारीरिक कष्ट यानी कि रोगों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा इनकी अराधना करने वाले भक्तों को मानसिक परेशानियों से भी निजात मिलती है। चौथे दिन विधिविधान से इनकी पूजा अर्चना करने से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है। भक्तों को मां कुष्मांडा देवी लंबी आयु, यश, बल और प्रबल बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। और किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद दें। इससे माता की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए।
कैसे करें मां कुष्मांडा की पूजा ?
- हरे कपड़े पहनकर मां कुष्मांडा का पूजन करें।
- पूजन के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ और कुम्हड़ा अर्पित करें।
- इसके बाद उनके मुख्य मंत्र का 108 बार जाप करें।
"ॐ कुष्मांडा देव्यै नमः" - सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का भी पाठ करें।
Created On :   20 March 2018 5:35 PM IST