व्रत: आज है पद्मिनी एकादशी, इस पूजा से मिलेगा हजारों वर्षों की तपस्या जितना फल

Padmini Ekadashi: Know the time of worship and importance of fast
व्रत: आज है पद्मिनी एकादशी, इस पूजा से मिलेगा हजारों वर्षों की तपस्या जितना फल
व्रत: आज है पद्मिनी एकादशी, इस पूजा से मिलेगा हजारों वर्षों की तपस्या जितना फल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है, जो अलग अलग नामों से जानी जाती है। इनमें से तीन साल में एक बार लगने वाले पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, पद्मिनी एकादशी का व्रत आज 27 सितंबर 2020 को है पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है उससे अधिक पुण्य एक मात्र पद्मिनी एकादशी व्रत करने से मिलता है। 

पद्मिनी एकादशी व्रत को करने से व्रत करनेवाले व्‍यक्‍ति को बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है। जीवन सुख-सौभाग्य से भर जाता है। मनुष्य को भौतिक सुख तो प्राप्त होते ही हैं, मृत्यु के बाद उसे मोक्ष भी प्राप्त हो जाता है। आइए जानते हैं इस एकादशी के बारे में...

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मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 27 सितंबर, 06:02 मिनट से
तिथि समाप्त: 28 सितंबर, 07.50 मिनट तक
पारण मुहूर्त: 06:10 से 08:26 तक

ना करें ये काम
शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य इस एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें सदाचार का पालन करना चाहिए। जो यह व्रत नहीं भी करते हैं उन्हें भी इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी और तंबाकू से परहेज रखना चाहिए। इस दिन जुआ और निद्रा का त्याग करना चाहिए और रात में भगवान विष्णु का नाम का स्मरण करते हुए जागरण करना चाहिए। व्रत के दौरान कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए। व्रत में नमक का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

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पूजा विधि
- इस दिन व्रती को सुबह स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- इसके बाद भगवान विष्णु से व्रत के सफलतापूर्वक पूरा होने की प्रार्थना करें। भगवान विष्णु की तस्वीर पर गंगाजल के छींटे देने के बाद रोली अक्षत से तिलक करें और फूल चढ़ाएं। 
- इस दिन भगवान विष्णु को सफेद फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान विष्णु को फलों का भोग लगाएं। 
- गरीबों और ब्राह्मणों को फलों का दान दें। 
- यदि संभव हो तो रात को न सोएं और रातभर भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें। 
- अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें।
- स्नान करने के बाद मंदिर में धूप-दीप करें और सूर्य को जल चढ़ाएं।
 
 

Created On :   24 Sep 2020 11:35 AM GMT

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