श्राद्ध पक्ष में किए गए ये उपाय आपके घर में लाएंगे सुख समृद्धि 

Pitru Paksha 2018: Do These Remedies on Pitru Paksha For Happiness in Life
श्राद्ध पक्ष में किए गए ये उपाय आपके घर में लाएंगे सुख समृद्धि 
श्राद्ध पक्ष में किए गए ये उपाय आपके घर में लाएंगे सुख समृद्धि 

डिजिटल डेस्क, भोपाल। श्राद्ध पक्ष में आप अपने पितरों को कैसे प्रसन्न करें जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो। हर किसी की मन में इच्छा रहती है कि वो स्वयं और उसका परिवार सुखी एवं संपन्न रहें। हर व्यक्ति को अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए देवी-देवता के साथ-साथ अपने पितरों का भी ध्यान अवश्य करना चाहिए।

कैसे करें तर्पण ? 

तर्पण विधि - सर्वप्रथम तो अपने पास शुद्ध जल, अपने बैठने का आसन लें जो कुशा का ही हो एक तांबे की बड़ी थाली, कच्चा दूध, पुष्प, पुष्प-माला, कुशा, गोल सुपारी, जौ, काली तिल, जनेऊ आदि साथ में रखें। फिर आसन पर बैठकर तीन बार आचमन करें अर्थात अपने दायें हाथ से बायें हाथ में जल और उस जल को पीते हुए ये मन्त्र बोलें।

ॐ केशवाय नम: 
ॐ माधवाय नम: 
ॐ गोविन्दाय नम:


आचमन करने के बाद हाथ धोकर अपने ऊपर जल छिड़कें इससे आप पवित्र हो जाएंगे। इसके बाद गायत्री मंत्र से शिखा (चोटी) बांधकर तिलक लगाकर कुशा की पवित्र अंगूठी बनाकर अनामिका अंगुली में धारण कर हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल लेकर इस प्रकार संकल्प लें।

पहले अपना नाम एवं गोत्र उच्चारण करें फिर बोलें :-

अथ् श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थ देवर्षिमनुष्यपितृतर्पणम करिष्ये।।

फिर थाली या तांबे के पात्र में जल, कच्चा दूध, गुलाब की कुछ पंखुड़ी डालें, फिर हाथ में चावल लेकर पितृ देवता एवं ऋषियों का आह्वान करें। स्वयं पूर्व मुख करके बैठें, जनेऊ को कंधे पर रखें। कुशा के अग्रभाग को पूर्व की ओर रखें, देवतीर्थ से अर्थात् दाएं हाथ की अंगुलियों के अग्रभाग से पितरों को तर्पण दें, इसी प्रकार ऋषियों को भी तर्पण दें।

तत्पश्चात उत्तर मुख करके जनेऊ को कंठी करके (माला की तरह) गले में पहनें एवं पद्मासन लगाकर बैठें। दोनों हथेलियों के बीच से जल गिराकर दिव्य पितृ को तर्पण दें, इसके बाद दक्षिण मुख कर बैठ जाएँ, जनेऊ को दाहिने कंधे पर रखकर बाएं हाथ के नीचे ले जाएं, थाली या तांबे के पात्र में काली तिल छोड़ें फिर काली तिल हाथ में लेकर अपने पितरों का आह्वान करें।

ॐ आगच्छन्तु में पितर इमम ग्रहन्तु जलान्जलिम

फिर पितृ तीर्थ से अर्थात अपने दाहिने अंगूठे और तर्जनी के मध्य भाग से तर्पण दें।

1. अब पुन: अपने गोत्र का उच्चारण करें एवं अपने पिता या अमुक पितृ का नाम लेकर तीन बार उनको तर्पण दें। 
2. अपने गोत्र के साथ दादाजी पितामह का नाम लेकर तीन बार उनको तर्पण दें। 
3. अपने गोत्र के साथ पिताजी के दादाजी प्रपितामह का नाम लेकर तीन बार उनको तर्पण दें। 
4. अपने नाना के गोत्र के साथ, नाना का नाम लेकर उनको तीन बार तर्पण दें। 
5. अपने नाना के गोत्र के साथ नाना के पिताजी परनाना का नाम लेकर तीन बार तर्पण दें। 
6. अपने नाना के गोत्र के साथ नाना के दादा प्रपरनाना का नाम लेकर तीन बार तर्पण दें। 
7. अपने नाना के गोत्र के साथ नानी का नाम लेकर तीन बार तर्पण दें। 
8. अपने नाना के गोत्र के साथ नानाजी की मां परनानी जी का नाम लेकर तीन बार तर्पण दें। 
9. अपने नाना के गोत्र के साथ नाना जी की दादी प्रपरनानी का नाम लेकर तीन बार तर्पण दें। 
10. अपने गोत्र का उच्चारण करें अपने दिवंगत जो भी स्वर्गवासी हो गये हैं पत्नी से लेकर परिवार के सभी दिवंगत सदस्य का नाम लेकर तीन-तीन बार तर्पण दें। परिवार के साथ-साथ दिवंगत बुआ, मामा, मौसी, मित्र एवं गुरु आदि सबको तर्पण दें।

विशेष:- जिस किसी पूर्वजों के नाम याद नहीं हो, तो रूद्र, विष्णु एवं ब्रह्मा जी का नाम उच्चारण कर लें।  भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। फिर कंडे पर गुड़-घी की धूप दें, धूप के बाद पांच भोग निकालें जो पंचबली कहलाती है।

1. गाय माता के लिए पत्तल पर भोग लगाकर गाय को दें। 
2. श्वान (कुत्ते) के लिए जनेऊ को कंठी करके पत्तल पर भोग लगाकर कुत्ते को दें। 
3. कौओं के लिए पृथ्वी पर भोग लगाकर कौओं को दें। 
4. देवताओं के लिए पत्तल पर भोग लगा कर अपने अतिथि को दें। 
5. पिपीलिका के लिए पत्तल पर भोग लगाकर पिपीलिका को दें।

इसके बाद हाथ में जल लेकर 

ॐ विष्णवे नम: 
ॐ विष्णवे नम: 
ॐ विष्णवे नम: 


बोलकर यह जल भगवान विष्णु जी के चरणों में छोड़ दें। इस क्रिया कर्म से आपके पितृ बहुत प्रसन्न होंगे और आपके सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण करेंगे। 

Created On :   22 Sep 2018 12:06 PM GMT

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