3 दिन बाद देव प्रबोधिनी एकादशी, पूजा से पहले जानें 6 विशेष बातें...
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में हर दिन और त्योहार का अपना अलग ही महत्व है। हर त्योहार से अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। एक ऐसा ही त्योहार है देवउठनी ग्यारस, जो कि इस वर्ष 31 अक्टूबर 2017 को मनाई जा रही है। जिसका उल्लेख शास्त्रों में भी दिया गया है।
देव प्रबोधिनी या देवउठनी ग्यारस पर तुलसी विवाह की परंपरा है, किंतु इस दिन सुबह लक्ष्मी-नारायण की एक साथ पूजा करने से मांगलिक समाचार प्राप्त होते हैं। देवउठनी काे पूरा दिन शुभ माना जाता है। भारत में अनेक स्थानाें पर इस त्याेहार काे दिवाली के समान ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन से विवाह मुहूर्त प्रारंभ हाेते हैं। हालांकि गुरु के अस्त हाेने की वजह से इस बार देवउठनी पर विवाह मुहूर्त नही है। यहां हम आपको इस खास दिन से जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं...
1. गोधूलि बेला में गन्ने का मंडप बनाकर तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराएं। इस मंडप को और तुलसी के पौधे को अच्छी तरह परंपरागत रूप से सजाकर ये पूजा करना चाहिए।
2. इसी दिन पूजन के बाद से नयी सब्जियों का भी उपयोग शुरू होता है। देवउठनी एकादशी पर लक्ष्मी-नारायण की पूजा कर उन्हें बेर, चने की भाजी, आंवला, मूली सहित मौसमी फल चढ़ाएं। तुलसी विवाह में भी इन सब्जियों को शामिल करें।
3. 4 माह शयन के बाद देवउठनी को सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरि जागते हैं। इसलिए इस दिन से शुभ काम शुरू होते हैं।
4. पूजन के बाद मंडप में भगवान से कुंवारों के विवाह और अच्छे जीवन साथी के लिए प्रार्थना करें।
5. देव प्रबोधिनी एकादशी पर शालिग्राम-तुलसी के साथ ही शंख का भी पूजन किया जाता है। इसमें श्रीहरि का वास बताया गया है। इसकी ध्वनि नए कार्य के प्रारंभ की सूचक है।
6. पूजन के उपरांत तुलसी की परिक्रमा करें और उनसे परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें। दीपक जलाकर इस घर के हर कोने में रखें। इससे घर की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
Created On :   28 Oct 2017 4:07 AM GMT