तीर्थ के समान है इस झील में डुबकी लगाना, पुष्कर मेला आज से

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तीर्थ के समान है इस झील में डुबकी लगाना, पुष्कर मेला आज से
तीर्थ के समान है इस झील में डुबकी लगाना, पुष्कर मेला आज से

डिजिटल डेस्क, अजमेर। पुष्कर, दुनिया भर में प्रसिद्ध एक ऐसा स्थान है जहां सालभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। पुष्कर का नाम आते ही सबसे पहले दो चीजें याद आती हैं। एक पुष्कर मेला और दूसरा पुष्कर में ब्रम्हदेव का मंदिर जो कि पूरे देश में एकमात्र है। पुष्कर का यह प्रसिद्ध मेला कार्तिक पूर्णिमा को शुरू होता है जो कि इस वर्ष 28 अक्टूबर से शुरू होकर 4 नवंबर तक चलेगा। कहा जाता है कि इन दिनों पुष्कर झील में स्नान कर ब्रम्हदेव के दर्शन करने से सभी दोषों का अंत होता है। 

रेत पर ये मेला कई किलोमीटर दूर तक
पुष्कर झील में स्नान करना तीर्थ करने के समान माना गया है। राजस्थान ही नही देश-विदेशों में भी इसकी इतनी ही मान्यता है कि इस दिन यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु झील में डुबकी लगाकर ब्रम्हदेव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जिसके बाद ही खरीद-फरोख्त शुरू की जाती है। रेत पर ये मेला कई किलोमीटर दूर तक लगाया जाता है। इस अवसर पर यहां का नजारा बेहद अलौकिक नजर आता है।

आरती में शामिल होना पुण्यकारी

पूरा दिन और शाम को पारंपरिक नृत्य घूमर गेर मांड और सपेरा दिखाए जाते हैं। शाम को आरती होती है। इस आरती को शाम के वक्त सुनना मन को काफी शांति देती है। ये भी मान्यता है कि इस दिन ब्रम्हदेव की इस स्थान पर विशेष कृपा होती है। जिसकी वजह से इस आरती में अवश्य ही शामिल होना चाहिए।

श्राप के कारण नही होती पूजा 

राजस्थान के अजमेर में स्थित ब्रम्हदेव का ये मंदिर करीब दो हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। ब्रम्हदेव की मूर्ति यहां 14वीं शताब्दी की बताई जाती है। सृष्टि रचियेता ब्रम्हदेव की पूजा नहीं की जाती। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि एक श्राप की वजह से उनकी पूजा का विधान नही है। ये मंदिर भारत वर्ष में एकमात्र है। 

Created On :   27 Oct 2017 1:10 PM IST

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