पौष माह प्रारम्भ : सूर्य देव की अाराधना के लिए श्रेष्ठ है ये मास

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगहन के बाद पौष माह दिसंबर-जनवरी के समय पड़ता है। यह समय ठंड का होता है। इसी माह में लोहड़ी, पोगल सहित मकर संक्रांति जैसे अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। हर त्योहार को लेकर अपनी मान्यता है। संक्रांति पर सूर्य एक बार फिर राशि परिवर्तन करता है और अन्य राशि पर इसका असर दिखाई देने लगता है। पौष मास में भी व्रत-त्योहार एवं पूजन का अत्यधिक महत्व है। इस माह को सूर्य की उपासना के लिए विशेष बताया गया है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत में साल के दसवें माह को ही पौष मास कहा जाता है। नक्षत्रों पर आधारित भारतीय महीनों में पौष को भी साधना, आराधना का माह कहा गया है।
पुण्य एवं तेज की प्राप्ति
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पौष माह में यदि भगवान सूर्यदेव की आराधना की जाए तो पुण्य एवं तेज की प्राप्ति होती है। जातक को धन, यश एवं ज्ञान मिलता है, किंतु इस माह में विशेष तिथियों को छोड़कर शुभ कार्य करना उत्तम नही बताया गया है।
विष्णु मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य
पौष मास में सूर्य देव को अर्घ्य देने व इनका व्रत पारण करने का विशेष महत्व है। पुराणों में भी ऐसा उल्लेख मिलता है कि पौष मास के प्रत्येक रविवार तांबे के पात्र में लाल चंदन व लाल पुष्प डालकर भगवान विष्णु मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से भी मनुष्य को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। साथ ही मनुष्य तेजस्वी बनता है और उसमें नेतृत्व की क्षमता का विकास होता है।
साल का सबसे छोटा दिन
साल का सबसे छोटा दिन 21 दिसंबर पौष मास में ही आता है। पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिये इस मास को पौष माह या मास के नाम से जाना जाता है।

Created On :   3 Dec 2017 11:12 AM IST