5 वर्ष 5 माह की अवधि, रोहिणी व्रत-पूजन में अपनाएं ये विधि

Rohini vrat of Jain community, use these tips during the puja
5 वर्ष 5 माह की अवधि, रोहिणी व्रत-पूजन में अपनाएं ये विधि
5 वर्ष 5 माह की अवधि, रोहिणी व्रत-पूजन में अपनाएं ये विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जैन समुदाय का प्रचलित रोहिणी व्रत आज 16 अगस्त बुधवार को मनाया जा रहा है।  

यह व्रत रोहिणी देवी से जुड़ा है तथा फलस्वरूप इसी दिन पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जैन समुदाय में मौजूद 27 नक्षत्रों में से एक नक्षत्र रोहिणी है, इसलिए जैन समुदाय के अनुयायी उनकी पूजा करते हैं। यह व्रत वर्ष में कम से कम 6 से 7 बार आता है।

पति की लंबी उम्र के लिए

जैन परिवार में महिलाएं इस व्रत को अनिवार्य रूप से रखती हैं। इसे मुख्यतः पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। 

5 वर्ष 5 माह की अवधि 

अन्य व्रतों की तुलना में इसे एक निश्चित समय तक ही करना संभव है। व्रती स्वयं इसे करने के वक्त का निर्णय लेता है। व्रत अवधि पूरी होने पर इस व्रत का उद्यापन कर दिया जाता है। हालांकि इसके लिए 5 वर्ष 5 माह की अवधि श्रेष्ठ मानी गयी है। इसके पूर्ण होने पर दान करना फलकारी माना गया है। इसके पूजन में भगवान वासुपूज्य की आराधना की जाती हैं। 

पूजन विधि

- इस दिन महिलायें प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान करके पूजा करें। 

- पूजा के लिए वासुपूज्‍य भगवान की पांचरत्‍नए ताम्र या स्‍वर्ण प्रतिमा की स्‍थापना  करें। 

- उनकी आराधना करके दो वस्‍त्रों, फूल, फल  और नैवेध्य का भोग लगाएं। 

- रोहिणी व्रत का पालन उदिया तिथि में रोहिणी नक्षत्र के दिन से शुरू होकर अगले नक्षत्र मार्गशीर्ष तक चलता है। 

- इस दिन गरीबों को दान देने का अत्यधिक महत्व है।
 

Created On :   16 Aug 2017 4:25 AM GMT

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