संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए क्या है महत्व और पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए क्या है महत्व और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, भोपाल। गौरी पुत्र गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत, या किसी भी देवी-देवता की पूजा करने से पहले गणेशजी की पूजा करना आवश्यक है। कहते हैं कि गणेशजी संकटमोचन, विघ्नहर्ता हैं। कोई भी परेशानी हो, तकलीफ हो, संकट में हों तो गणेशजी की आराधना करने से सब दुख, तकलीफ दूर हो जाते हैं। हिंदू धर्म में गणेशजी का व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है, ये व्रत हर माह की चतुर्थी को रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में 2 चतुर्थी आती हैं जिन्हें विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
 

कब मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी

पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। संकष्टी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका मतलब होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
 

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन को बहुत शुभ माना जाता है। चन्द्रोदय के बाद ही व्रत पूर्ण होता है। मान्यता यह भी है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सालभर में संकष्टी चतुर्थी 13 बार आती है यानी कि 13 बार सकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। प्रत्येक व्रत के लिए एक अलग व्रत कथा है।
 

कैसे करें संकष्टी चतुर्थी पर पूजा

संकष्टि चतुर्थी के दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। जिन व्यक्तियों का इस दिन व्रत होता है वे केवल कच्ची सब्जियां, फल, साबुदाना, मूंगफली और आलू खाते हैं। शाम के समय भगवान गणेश की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाया जाता है। चन्द्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है और व्रत कथा पढ़ी जाती है। इसके बाद ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।

Created On :   1 April 2018 10:50 AM IST

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