शीतलाष्टमी: जानें इस ​दिन क्यों खाया जाता है बासी खाना, क्या है पूजा विधि

sheetala ashtami: Know why stale food is eaten on this day, and worship method
शीतलाष्टमी: जानें इस ​दिन क्यों खाया जाता है बासी खाना, क्या है पूजा विधि
शीतलाष्टमी: जानें इस ​दिन क्यों खाया जाता है बासी खाना, क्या है पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शीतला अष्टमी (शीतलाष्टमी) का बड़ा महत्व है, इसे बूढ़ा बसोड़ा या लसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। देश के अलग-अलग राज्यों में शीतलाष्टमी भिन्न समय पर मनाई जाती है। कई स्थानों पर चैत्र तो कहीं वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ में शीतलाष्टमी मनाई जाती है। चूंकि अष्टमी हर माह में दो बार आती है, इनमें कई अष्टमी ऐसी होती हैं, जब व्रत के साथ माता की विशेष पूजा की जाती है। शीतलाष्टमी 2 जुलाई, शुक्रवार को है। 

पुराणों में मां शीतला का उल्लेख सबसे पहले स्कन्दपुराण में मिलता है। मां शीतला को रोगों का निवारण करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। माता के हाथ में झाडू होने का अर्थ लोगों को सफाई के प्रति जागरुक करने से होता है। कलश में सभी देवी-देवताओं का वास रहता है। शीतला माता रोगों का नाश करने वाली मानी गई है। इनका वाहन गर्दभ यानि गधा है। आइए जानते हैं शीतलाष्टमी के बारे में...

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महत्व
मान्यता है अगर किसी भी व्यक्ति को जब चेचक निकल आता है तो घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। नियम के अनुसार माता भगवती की पूजा होती है। मां शीतला को खसरा, माता निकलने (चेचक), पीलिया, मोतीझरा, बोदरी आदि रोगों से मुक्ति देने वाली देवी माना गया है। इन बीमारियों में ठंडी और बासी चीजे ज्यादा लाभप्रद है। गर्म और छोकन वाली चीजें इन बीमारियों को ज्यादा बढ़ाती है। इसी कारण मां को एक दिन पहले बनी हुई चीजों का भोग लगाकर घरों मे खाई जाती है।  

पूजा विधि 
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं।
- इसके बाद पूजा का संकप लें और घर के मंदिर की सफाई करें।
- मां शीतला की पूजा करने के लिए एक चांदी का चौकोर टुकड़ा अर्पित किया जाता है।
- पूजा की थाली में दही, पूआ, पूड़ी, बाजरा, मीठे चावल और गुड़ का भोग लाया जाता है। मां की पूजा में हल्दी, अक्षत्, लोटे में जल और कलावा रखा जाता है।

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- ध्यान रहे शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता को शीतल यानी बासी खाद्य पदार्थ चढ़ाया जाता है। 
- माता को घर में एक दिन पहले बना हुआ यानी कि बासी भोजन चढ़ाया जाता है।
- इस दिन घर की रसोई में हाथ की पांचों अंगुलियों से घी दीवार पर लगाया जाता है। 
- इसके बाद उस पर रोली और चावल लगाकर शीतला माता की आरती गाई जाती है। 
- इसके अलावा घर के पास के चौराहे पर भी जल अर्पित किया जाता है।

Created On :   1 July 2021 12:55 PM IST

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