मंदोदरी की संतान, देवी सीता के जन्म से जुड़े हैं ये तथ्य

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मंदोदरी की संतान, देवी सीता के जन्म से जुड़े हैं ये तथ्य
मंदोदरी की संतान, देवी सीता के जन्म से जुड़े हैं ये तथ्य

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीता अष्टमी या सीता जयंती इस वर्ष 8 फरवरी 2018 को है। माता सीता का जन्मोत्सव राम मंदिरों में धूमधाम से मनाया जाता है। अनेक स्थानों पर विभिन्न आयोजन भी होते हैं। देवी सीता क्योंकि मां लक्ष्मी का ही रूप थीं तो पूजा-पाठ के साथ ही देवी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न विधान अपनाएं जाते हैं। इस दिन व्रत पूजा सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए सबसे श्रेष्ठ बताया गया है। वैसे तो रामायण में वर्णित कथा माता सीता के अटल और पतिव्रत धर्म के बारे में सबकुछ बताती है, किंतु ऐसे भी कुछ तथ्य हैं, जिन्हें कम ही लोग जानते हैं और ये माता सीता से ही जुडे़ हैं...


-माता सीता हवन के लिए खेत में हल चलाते वक्त महाराज जनक को मिलीं थीं, इस वजह से उन्हें जनक नंदनी, वैदेही, वैदेह कुमारी और जानकी भी कहा जाता है। 


-कहा जाता है कि माता सीता रावण की पुत्री थीं, किंतु इसके बारे में स्वयं रावण को भी नही पता था, किंतु ये तथ्य आश्चर्यचकित करने वाला है कि माता सीता रावण की पुत्री कैसे थीं। 


-दरअसल, ऐसा उल्लेख मिलता है कि एक बार दण्डकारण्य मे गृत्स्मद नामक ब्राम्हण माता लक्ष्मी को अपनी पुत्री रूप में पाने के लिए कलश में कुश के अग्र भाग के साथ मंत्रोच्चार कर उसमें दूध की बूंदें डालता था। यह क्रिया वह प्रतिदिन किया करता था। जब रावण एक दिन विचरण करते हुुए वहां पहुंचा तो उसने ये सब प्रक्रिया देखी। 


-सबकुछ जानने के बाद एक दिन रावण ब्राम्हण की अनुपस्थिति में आश्रम पहुंचा और ऋषियों का रक्त उसी कलश में एकत्र कर लंका ले गया। कलश उसने मंदोदरी को बेहद खतरनाक विष बताकर सौंप दिया। 

 

-एक बार पति के व्यवहार से दुखी होकर मंदोदरी ने उस विष को पीने की मंशा बनाई। जैसे ही उसने उसे पिया वह गर्भवती हो गई, किंतु तब रावण वहां नही था। उसने सोचा कि रावण को यह पता चलते ही वह उस पर चरित्रहिनता का आरोप लगा सकता है। जिससे उसने भ्रूण को निकालकर जमीन में दफना दिया। 

 

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-इस संबंध में कहा जाता है कि महाराज जनक को जो कन्या मिली वह यही थी। जिन्हें सीता के नाम से जाना गया। मंदोदरी के गर्भ में आने के कारण उसे रावण की पुत्री कहा गया। 


-वाल्मिक रामायण में इस कथा का उल्लेख नही मिलता, किंतु 125 से ज्यादा रामायण भगवान राम के जीवन पर लिखी जा चुकी हैं, इनमें अनेक कथाएं वर्णित हैं। कुछ को विद्वानों ने प्रमाणिक भी माना है।

Created On :   6 Feb 2018 8:38 AM IST

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