एक तांत्रिक का श्राप आज भी है इस बावड़ी के पानी में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विविधताओं और किसी न किसी रहस्यों से घिरा हमारा देश, यहां कई ऐसे स्थान और भवन, मकान हैं जिनके भीतर अनेक रहस्य बंद हैं। कुछ रहस्य हमारे पौराणिक काल से जुड़े हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो कई सालों बाद आज भी डर का कारण बने हुए हैं। आप भरोसा करते हों या नहीं, लेकिन आपने सुना तो कई बार होगा कि भारत में कई ऐसे स्थान हैं जिन्हें अपवाद माना जाता है, साथ ही इनके भयानक और हिंसक अतीत के कारण ये बहुत खतरनाक भी कहे जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान से परिचित करवाने जा रहे हैं जिसे इतने सालों बाद आज भी दुष्ट आत्माओं का निवास स्थान माना जाता है।
मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थान से मात्र 20 किलोमीटर दूर स्थित है तांत्रिक बावड़ी, जो 250 वर्षों पुराने महल के भीतर गढ़ी हुई है। तब के तत्कालीन राजा गिरधर सिंह गौड़ ने अपने शासनकाल के समय में ऐसी 8 बावड़ियां बनवाई थीं। इनमें से एक बावड़ी को तांत्रिक बावड़ी के नाम से जाना जाता है।
जैसे कि हमारे यहां दंतकथा और किंवदंतियां बहुत तेजी से बनती और फैलती है, कुछ ऐसी ही किंवदंती इस बावड़ी के साथ भी जुड़ी हुई हैं। ऐसी मान्यता रही हैं कि इस बावड़ी पर एक क्रोधित तांत्रिक ने जादू कर दिया था, जिस कारण से जो भी लोग इस बावड़ी का पानी पीते थे उनके बीच में विवाद होने लगता था।
जब ये वारदातें राजपरिवार के लोगों के साथ घटनाक्रम से होने लगीं तो इस बावड़ी को बंद करने का निर्णय लिया गया। ये स्थान स्वयं राजा गिरधर सिंह गौड़ ने ही बसाया था, जो अबतक जादूगरों और तांत्रिकों के लिए ही प्रसिद्ध रहा है। कहा जाता है कि एक बार राजा ने तांत्रिक और जादूगरों में मुकाबला करवाया तब एक जादूगर ने ताड़ के वृक्ष को अपने जादू से तोड़ दिया तो दूसरे ने अपने जादू से उस वृक्ष को जोड़कर दिखाया।
लेकिन वृक्ष के दो भागों के बीच थोड़ा अंतर आ गया था। यह वृक्ष कई वर्षों तक जस का तस खड़ा भी रहा था। वैसे तो इस स्थान का नाम हीरापुर हुआ करता था लेकिन लोग इसे गिरधपुर के नाम से ही अच्छे से जानते हैं, जो आज स्वमं अपनी दुर्दशा देख रहा है। महल के आसपास झाड़ियां उगने लगी हैं, महल के बाहर जो मंदिर है वह पूरे तरह उजाड़ हो गया है।
Created On :   11 Dec 2018 5:53 PM IST