जागृत हनुमान मंदिर से जुड़ी है भक्तों की आस्था, जानिए क्या है किवदंती

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जागृत हनुमान मंदिर से जुड़ी है भक्तों की आस्था, जानिए क्या है किवदंती
जागृत हनुमान मंदिर से जुड़ी है भक्तों की आस्था, जानिए क्या है किवदंती

डिजिटल डेस्क, वर्धा।  वर्धा-आर्वी मार्ग पर स्थित ग्राम सुकलीबाई में स्थित जागृत हनुमान मंदिर स भक्तों की आस्था इस तरह जुड़ी हुई है कि श्रद्धालु हर मंगलवार और शनिवार को यहां दर्शन के लिए आते हैैं।  इस समय जोर-शोर से यहां हनुमान जयंती की तैयारियां चल रही हैं। मंदिर में हनुमानजी के दर्शन के लिए सैंकड़ों भक्तों की यहां पर भीड़ लगी रहती है।

93 साल पहले हुई थी मंदिर की स्थापना 
देश में उन सभी छोटे-बड़े स्थानों पर हनुमान जी के मंदिर बने हुए हैं, जहां पर उनके अस्तित्व के निशां मिलते हैं। इनमें से कुछ मंदिर  खास घटनाओं से जुड़े हैं और कुछ का संबंध चमत्कार से है। अपने देश में ऐसे हजारो मंदिर मिल जाएंगे। ऐसा ही एक हनुमान मंदिर वर्धा शहर से करीब  12  कि.मी. की दूरी पर स्थित ग्राम सुकलीबाई में है। जागृत हनुमान के तौर पर विख्यात इस मंदिर से लाखों भक्तों की श्रद्धा जुड़ी हुई है। सुकलीबाई स्थित शांतिधाम में हनुमान मंदिर की स्थापना 1925 में महादेव बाबा ब्रह्मचारी द्वारा की गई थी। यहां के विश्वस्त मंडल के  अध्यक्ष अशोकबाबू सराफ हैं। इस मंदिर में प्रतिवर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर लगभग 8 से 10 हजार श्रद्धालु महाप्रसाद का लाभ उठाने के लिए आते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि श्री हनुमान जी के मंदिर में सच्चे दिल से जो कुछ भी मांगोगे वह मिलता ही है। न जाने ऐसे कितने श्रद्धालु होंगे जिनकी मनोकामना पूरी हो चुकी है। मनोकामना पूर्ण होने के बाद वे मंदिर में जरूर आते हैं और जयंती के अवसर पर महाप्रसाद में सहयोग करके प्रसाद का लाभ उठाते हैं।

गांव के बुजुर्ग बताते हैं 
महादेव बाबा ब्रह्मचारी का जन्म 1899 में जामनी में हुआ था। कुछ समय बाद बाबा ब्रह्मचारी सुकली बाई में आकर रहने लगे। वे अखाड़े के बड़े ही शौकीन थे। एक दिन अखाड़़े के लिए जगह की खुदाई कर रहे थे तभी उन्हें चिमटा और शिल्प नजर आए। कुछ समय बाद बाबा ब्रह्मचारी ने राजा रघुजी भोसले (नागपुर) से अखाड़े के लिए जमीन मांगी तो भोसले ने उन्हें 5 एकड़ जमीन दे दी थी।  एक दिन रात्रि में बाबा ब्रह्मचारी के सपने में हनुमानजी आए और उन्होंने कहा कि मैं जामनी में पड़ा हूं मुझे स्थापित करो। दूसरे दिन ही बाबा ब्रह्मचारी जामनी गए और हनुमान जी की मूर्ति खोजकर ले आए। तत्पश्चात उन्होंने अखाड़े की जगह में उन्हें स्थापित कर दिया। तभी से यहां पर हनुमान मंदिर की स्थापना हो गई और श्रद्धालुओं का तांता लगने लगा। 7 अक्टूबर 1994  को महादेव बाबा ब्रह्मचारी का देहांत हो गया। उसके बाद महादेव बाबा ब्रह्मचारी की समाधि स्थापित की गई। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 31 मार्च को श्री हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में भव्य महाप्रसाद, भजन, पूजन, सुंदरकांड, आरती तथा रक्तदान शिविर आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। 

Created On :   30 March 2018 4:14 PM IST

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