"ॐ" का महत्व और सही उच्चारण।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। ओम एक ऐसे ध्वनि है जिसका कोई अंत नहीं है। अनादि, अनंत और निर्वाण की आस्था का प्रतीक है ओम। ओम ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है। ओम की ध्वनि तीन ध्वनियों से मिलकर बनी है। ओम का चिन्ह पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक है। ओम के उच्चारण मात्र से ही मनुष्य के मस्तिष्क और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। ओम की ध्वनि को सुनते रहने से मनुष्य के मन और आत्मा को शांति महसूस होती है। ओम के उच्चारण मात्र से ही आप लाभांवित हो जाएंगे।
झरने के बहने से कर्णनाद उत्पन्न होता है उसकी ध्वनि या हवा जब चलती है तो उसकी सरसराहट की तरह भी ओम की ध्वनि सुनाई नहीं देती। ओम तुम्हारे होने की ध्वनि है। ओम किसी धर्म की जागीर नहीं है। ओम ही आमीन भी है। ओम के ज्ञान का महत्व नहीं है अपितु ओम के अनुभव का महत्व है।
ओम ब्रह्मांड की शांति की ध्वनि का स्पंदन है। अनंतनाद ओम के स्पंदन का ही नाम है। ओम किसी कारण से पैदा नहीं हुआ है। जब सब कुछ शून्य हो जाता है तब केवल एक ही ध्वनि सुनाई देती है और उस ध्वनि को अनंतनाद कहते हैं। ओम ऐसा नाद है जो किसी दो चीजों के टकराने से पैदा नहीं हुआ।
आपके हर अणु के स्पंदन की गूंज ओम ही है। ओम से ही पूरी सृष्टि है, भाषा की दुनिया का पहला और आखरी शब्द ओम ही है। ओम के उच्चारण मात्र से ही मन प्रफुल्लित हो उठता है, एकाग्रता आती है।
अगर आप ओम का उच्चारण कर लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा की ओर देखकर करें, जिससे आपको लाभ प्राप्त होगा।
ओम शब्द तीन ध्वनियों अ, ऊ और म से मिलकर बना है। ओम का उच्चारण आप धीरे-धीरे या जोर से भी कर सकते हैं। ओम का उच्चारम जप माला के साथ भी किया जा सकता है या योग-आसन करते समय भी आप ओम का उच्चारण कर सकते हैं। ओम आपके अस्तित्व की ध्वनि है, ओम का कोई अर्थ नहीं है। ओम किसी भाषा का हिस्सा नहीं, किसी वर्णमाला का अक्षर भी नहीं है।
Created On :   7 April 2018 4:39 PM IST