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- these 5 Shiva temples Grandiosity and beauty will steal your heart
दैनिक भास्कर हिंदी: सावन के महीने में इन 5 शिव मंदिरों के करें दर्शन, खूबसूरत नजारों का भी लें आनन्द
डिजिटल डेस्क । भारत में कई तरह की संस्कृति है, यहां आपको, कई धर्म, भाषा, कला, खान-पान और फैस्टिवल्स देखने को मिलेंगे।यहां कि हवा में हर दिन कुछ ना कुछ खास होता। एक तीज-त्यौहार जाता है तो दूसरे की शुरूआत हो जाती है। हाल में शादियों के मुहूर्त खत्म हुए है और अब श्रावण के महीने में सावन सोमवार की शुरूआत हो गई है। इस पूरे महीने में भगवान शिव की खास अराधना होती है और शिवालयों में एक अलग ही तरह की रौनक देखने को मिलती है। मूल रूप से मानसून का मौसम और श्रावण का महीना भक्तों के लिए भागवान के दर्शन करने के साथ-साथ घूमने-फिरने के लिए भी खास होता है। दरअसल भगवान शिव भी ऐसी जगहों पर अराधना किया करते थे जो आम लोगों की पहुंच से दूर हुआ करती थी। इसलिए कुछ मंदिर आज भी बेहद दूर और बेहद खूबसूरत जगहों पर स्थापित हैं। इस महीने में शिवालयों में दर्शनों का खास महत्व होता है, इसलिए आज आपको ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप भगवान के दर्शनों के साथ, इन जगहों के खूबसूरत नजारों का भी मजा ले सकते हैं।
केदारनाथ, उत्तराखंड
सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक केदारनाथ। ये समुद्र तल से 3583 मीटर की ऊंचाई पर है और उत्तराखंड की यात्रा का हिस्सा है। मंदिर अप्रैल से नवंबर तक खुला रहता है और सर्दियों के महीनों के दौरान भारी बर्फबारी होती है, इसलिए इसे बंद रखा जाता है। आप सावन के महीने में यहां जा सकते हैं। ये मंदिर अपनी भव्यता औऱ खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। मंदिर के पीछे दिखते ऊंचे पहाड़ इस मंदिर की खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं।
लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर
भुवनेश्वर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक, लिंगराज मंदिर भी शहर में सबसे बड़ा मंदिर है। ये 11 वीं शताब्दी में बनवाया गया था और संस्कृत ग्रंथों में इसका उल्लेख है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर आपको मूर्तियां नजर आएंगी। ये उस दौर की संस्कृति को दिखाती है। बारिश में मंदिर के आस-पास हरियाली बढ़ जाती है जो इसे और भी खूबसूरत बनाती है।
भीमाशंकर, महाराष्ट्र
भीमाशंकर शिव मंदिर के नाम से विख्यात ये मंदिर पुणे के करीब शिराधन गांव में स्थित है। इसे मोटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र में पेशवाओं के काल के प्रसिद्ध राजनेता नाना फड़नविस ने इस मंदिर में सभामंडप और शिखर बनवाकर इसे आधुनिक स्वरूप प्रदान किया था। यानी स्थापत्य कला के मामले में ये मंदिर आधुनिक और पुरातन नागर शैली का मिश्रित रूप है। यहां बुद्ध स्टाइल से की गई अंबा-अंबिका की नक्काशी, मन्माड की 1034 फीट की ऊंचाई पर भीमाशंकर, हेमदपंथी में नाना फड़नविस के द्वारा ही बनवाई खास घंटी भी देखने लायक है।
काशी विश्वनाथ, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में काशी यानी वाराणसी को भगवान शिव की नगरी ही कहा जाता है। भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में गंगा नदी के तट पर विद्यमान है। सावन आते ही भगवान शिव के दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस मंदिर के दर्शन को मोक्ष प्रदायी माना जाता है। काशी विश्वनाथ में की जाने वाली आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां दिन में पांच बार आरती आयोजित की जाती है। मंदिर रोजाना रात 2.30 बजे खुल जाता है। बाबा विश्वनाथ के मंदिर में तड़के सुबह की मंगला आरती के साथ पूरे दिन में चार बार आरती होती है। भक्तों के लिए मंदिर को सुबह 4 से 11 बजे तक के लिए खोल दिया जाता है फिर आरती होने के पश्चात दोपहर 12 से सायं 7 बजे तक दोबारा भक्तजन मंदिर में पूजा कर सकते हैं। सायं सात बजे सप्त ऋषि आरती का वक्त होता है। उसके बाद 9 बजे तक श्रद्धालु मंदिर में आ जा सकते हैं। 9 बजे भोग आरती शुरू की जाती है इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में प्रवेश वर्जित है। रात 10.30 बजे शयन आरती का आयोजन किया जाता है। मंदिर रात 11 बंद कर दिया जाता है।
तारकेश्वर मंदिर, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में तारकेश्वर मंदिर स्थित है। मंदिर में पूजा की जाने वाली लिंगम वास्तव में पुराने दिनों में राजा विष्णु दास को वन में मिला था। भगवान शिव को सपने में देखने के बाद राजा विष्णु दास ने ये मंदिर बनवाया था और ये पश्चिम बंगाल के हिंदुओं के बीच एक बेहद लोकप्रिय तीर्थ स्थल है।
आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।
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