ओणम का त्यौहार आज, जानें खास बातें और इससे जुड़ी रस्में

today is onam , know the rituals related to malyali festival.
ओणम का त्यौहार आज, जानें खास बातें और इससे जुड़ी रस्में
ओणम का त्यौहार आज, जानें खास बातें और इससे जुड़ी रस्में

डिजिटल डेस्क,भोपाल।आज ओणम का त्योहार है, ये केरल का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है।जिसे पूरे देश में मलयाली लोग बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व का अंतिम दिन बहुत खास होता है। ये दिन थिरुवोणम के नाम से जाना जाता है। मलयालम में श्रावण नक्षत्र को थिरुवोणम कहा जाता है। मलयालम कैलेंडर (कोल्लावर्षम) के अनुसार चिंगम माह के आगमन पर ओणम का पर्व मनाया जाता है। चिंगम मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है। यानी मलयाली लोग इस दिन से अपने नववर्ष की शुरुआत मानते हैं इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है।

ओणम का धार्मिक महत्व

ओणम आस्था का पर्व है। इस त्यौहार से धार्मिक मान्यता जुड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि ओणम के दिनों में राजा महाबलि केरल में लोगों से मिलने के लिए आते हैं और उनके स्वागत और दर्शन के लिए लोग ओणम महोत्सव मनाते हैं। ओणम के दिन ही भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था ऐसा माना जाता है।

ओणम पर्व पर होने वाली परंपरा

इस दिन थिरुवोणम नक्षत्र में पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवसर पर लोग अपने घर की साफ़-सफ़ाई करके उसे फूलों, बंदनवार, लड़ियों आदि से सजाते हैं। घर के मुख्य द्वार पर राजा महाबलि के स्वागत के लिए फूलों की कालीन बिछाई जाती है। कुछ घरों में चावल के लेप से भी प्रवेश द्वार पर सुंदर आकृतियाँ बनाई जाती हैं। ओणम सध्या इस पर्व की मुख्य परंपरा है। इसके बिना यह उत्सव अधूरा है। सध्या में राजा महाबलि के लिए विशाल भोज का आयोजन होता है। इस भोज में क़रीब 26 तरह के स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं जो केले के पत्तों पर परोसे जाते हैं। इसके अलावा केरल में इस दिन विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेलों का आयोजन होता है।

ओणम की रस्में 

ओणम का त्यौहार 10 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें बहुत सी गतिविधियाँ शामिल हैं। महिलाएँ घरों को सजाने के लिए रंग बिरंगे फूलों से रंगोली बनाती हैं, और पुरुष तैराकी और नौका-दौड़ जैसी गतिविधियों में भाग लेते हैं, ओणम त्यौहार के दस दिन इस प्रकार से मनाए जातें हैं।

अथम - इस दिन बहुत ही शानदार फ़ूलों की रंगोली बनाई जाती है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर ओणम के अवसर पर आते हैं। इस दिन हस्त नक्षत्र होता है। 
चिथिरा - ओणम के दूसरे दिन सारी पुरानी चीज़ों को निकाल दिया जाता है और अपने घर को हर तरह सुंदर बनाया जाता है। आज चिथिरा नक्षत्र होता है।
चोढ़ी - इस दिन का विशेष महत्व महिलाओं के लिए है क्योंकि इस दिन महिलाएँ अपने आप को सजाने के लिए नए कपड़े और गहनों की खरीददारी करती हैं। इस दिन स्वाति नक्षत्र होता है। 
विसकम - इस दिन सभी गतिविधियाँ और प्रतियोगिताएँ शुरू होती हैं। नौका-दौड़ और पूकलम इस दिन की प्रमुख विशेषताएँ हैं। इस दिन विसकम नक्षत्र होता है। 
अनिज़्हम - ओणम के पाँचवे दिन नौक-दौड़ का अभ्यास प्रारंभ हो जाता है। वल्लमकली नामक नौका-दौड़ बहुत ही प्रसिद्ध खेल है जो कि अब पर्यटन आकर्षण केंद्र बन चुका है। इस दिन अनिज़्हम नक्षत्र होता है। 
थ्रिकेटा - ओणम के छठें दिन बहुत ही बड़ा उत्सव मनाया जाता है। जो लोग घर से दूर काम करते हैं, वे सब इस दिन को अपने परिवार के साथ मनाते हैं। ओणम के छठें दिन थ्रिकेटा नक्षत्र प्रबल होता है। 
मूलम - यह वो दिन है जब केरल के मंदिरों में ओणसाद्य का आयोजन किया जाता है जो कि एक भव्य दावत मानी जाती है। इस दिन बहुत सी नृत्य कलाओं का आयोजन भी होता है जैसे कि पुलीकली और कैकोट्टी। मूलम नक्षत्र इस दिन होता है। 
पुरदम - इस दिन ओणम का उत्सव अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है। भगवान वामन और राजा महाबली की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं और पूकलम की रचनाएँ अपनी जटिलता तक पहुँच जाती हैं। इस दिन पुरदम नक्षत्र प्रबल होता है। 
उतरदम - इस दिन फूलों का एक विशाल गलीचा राजा महाबली के स्वागत के लिए तैयार किया जाता है। नौवें दिन की गतिविधियाँ अपने शीर्ष पर आ जाती हैं। इस दिन उत्तरदम नक्षत्र प्रबल होता है। 
थिरुवोणम - यह दिन परम उत्सव का दिन है। सारी गतिविधियाँ जैसे कि लोक नृत्य, कथकली नृत्य, पूकलम प्रतियोगिता, नौका-दौड़, और ओणसाद्य मनाई जाती हैं। उसके बाद, केरल के लोग अपने प्रिय राजा महाबली को अलविदा करते हैं। 
इस 10 दिन के त्यौहार में मनमोहक पूकलम, नौका-दौड़, और मुँह में पानी लाने वाला ओणमसाद्य इसका मुख्य केंद्र हैं।

वल्लमकली - प्रसिद्ध नौका-दौड़ 

नौका-दौड़ की गतिविधि केरल के लोगों के बीच ही नहीं, बल्कि पर्यटकों की भी पसंदीदा है। नौका-दौड़ में भाग लेने वाली नाव विशेष होती है। यह लगभग 100 फ़ीट लंबी है और 140-150 लोगों के बैठने की क्षमता रखती है। इसकी आकृति कोबरा जैसी है। इस नाव को बनाने में बहुत ही मेहनत लगती है, इसलिए मछुआरों के लिए इस नाव का भावनात्मक मूल्य है। यह एक ऐसी गतिविधि है जिससे कोई चूकना नही चाहेगा। 

ओणसद्या - एक भव्य भोज 

यह एक ऐसी दावत है जो कोई भी छोड़ना नहीं चाहेगा। यह एक नौं प्रकार का भोज है जो मुँह में अपना स्वाद छोड़ जाता है। केरल के लोग इस भोज को इतना पसंद करते हैं कि एक ओणसद्या भोज के लिए वह अपना सब कुछ बेच सकते हैं। परंपरा के अनुसार, ओणसद्या भोज केले के पत्ते पर परोसा जाता है। भोज में 60 तरह के व्यंजन और 20 तरह के मिष्ठान शामिल हैं जो पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। 
 

पूकलम - फूलों का गलीचा 

पूकलम अनेक रंगों के फ़ूलों से तैयार किया हुआ गलीचा होता है। यह एक कलात्मक स्पर्श वाली कला है। हर घर के आँगन में सुंदर और रंगीन रंगोली बनाई जाती हैं जो कि बहुत ही आकर्षक होती हैं। लोग पूकलम के दिन रंगोली बनाना प्रारंभ करते हैं जो कि ओणम के अंतिम दिन तक चलती है। रंगोली की गोल आकृति केरल के लोगों की संस्कृति और सामाजिकता को दर्शाता है। 
 
 

Created On :   4 Sept 2017 1:39 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story