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- Tulsi Vivah is the marriage of Tulsi plant to the lord Vishnu
दैनिक भास्कर हिंदी: देवउठनी एकादशी आज, इस शुभ मुहूर्त में करें तुलसी विवाह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तुलसी विवाह, देवउठनी ग्यारस या एकादशी इस वर्ष 31 अक्टूबर मंगलवार 2017 अर्थात आज मनाई जा रही है। यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस दिन तुलसी के पौधे की शालिग्राम (पत्थर) से विवाह कराया जाता है। मंडप सजता है दावत होती है। दिवाली के बाद इस त्योहार को भी बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन एक बार फिर दिवाली की तरह ही माहौल होता है।
दरअसल, चार महीने तक देवता सोए हुए होते हैं और इस दौरान सिर्फ पूजा पाठ ही होता है कोई शुभ कार्य नहीं होता है। देव उठनी के दिन सभी जागते हैं और शुभकार्यों के लिए मुहूर्त प्रारंभ होता है। देवताओं के उठने के बाद पहला शुभ कार्य होता है तुलसी विवाह। हालांकि इस वर्ष विवाह मुहूर्तों के प्रारंभ होने में देरी है। 12 अक्टूबर से 6 नवंबर तक गुरू अस्त रहने से शादियों का सिलसिला 31 अक्टूबर यानी देवउठनी एकादशी से न होकर 19 नवंबर से शुरू होगा।
तुलसी विवाह पूजा का समय
द्वादशी तिथि 31 अक्टूबर 2017 मंगलवार 18.55 पर प्रारंभ होगी।
1 नवंबर 2017 बुधवार 17.56 पर समाप्त होगी।
तुलसी विवाह की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार वृंदा अर्थात तुलसी का विवाह जालंधर नामक राक्षस के साथ हुआ था। तुलसी बहुत गुणवान और पतिव्रता स्त्री थी लेकिन वे अपने पति के कुकर्मों और अत्याचारों से दुःखी थी। वे भगवान विष्णु की अनन्य भक्त भी थीं। पुराणों में वर्णित है कि उनकी भक्ति और पतिव्रत धर्म में इतनी शक्ति थी कि जालंधर को हरापाना किसी के लिए भी संभव नही था।
जालंधर के अत्याचारों को देखते ही देवताओं ने श्रीहरि से उससे मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। इस पर भगवान विष्णु जालंधर का वेश बनाकर वृंदा के पास चले गए। उन्हें देखते ही वृंदा ने पति समझकर उन्हें स्पर्श कर लिया। इससे उनका पतिव्रत धर्म टूट गया और युद्धभूमि में जालंधर की मृत्यु हो गई। क्रोधित वृंदा ने भगवान विष्णु को पाषाण (पत्थर) बनने का श्राप दे दिया। सभी देवताओं और देवी लक्ष्मी की प्रार्थना पर वृंदा ने उन्हें श्राप मुक्त कर दिया। इस पर वृंदा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें सदैव ही अपने साथ पूजे जाने का आशीर्वाद दिया।
अपने पति की मृत्यु के बाद वृंदा सतीधर्म का पालन करते हुए सती हो गयी। माना जाता है उनकी उस भस्म से ही तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ था। ये भी मान्यता है कि तुलसी के बगैर भगवान विष्णु की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। तभी से तुलसी विवाह की परंपरा शुरू हुई।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।
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