वैकुण्ठ चतुर्दशी आज : रात 12 बजे निकलेंगे महाकाल, इस मुहूर्त में होगा हरि-हर का मिलन
डिजिटल डेस्क, उज्जैन। वैकुण्ठ चतुर्दशी, एकादशी के बाद पड़ने वाला त्याेहार। इसे हरिहर का मिलन कहा जाता है। भगवान शिव एवं विष्णु के उपासक इस दिन को धूमधाम से मनाते हैं।उज्जैन के महाकाल बाबा मंदिर में इसे पूरे उत्साह से मनाया जाता है। कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी को यह दिन आता है। इस वर्ष यह 2 नवंबर गुरूवार को अर्थात आज मनाई जा रही है। इस अवसर पर अवंतिका शहर के मध्य से बाबा की सवारी निकाली जाती है। उज्जैन के प्रसिद्ध गाेपाल मंदिर में रात 12 बजे महाकाल बाबा रजत पालकी में सवार हाेकर जाएंगे। देवाें का मिलन हाेगा आैर शिव पुनः श्रीहरि काे समस्त कार्यभार साैंपेंंगे। तीर्थ नगरी उज्जैन में ये धार्मिक लीला अाज धूम-धाम से देखने मिलेगी। देव सोन के दौरान सत्ता शिवजी के पास रहती है और देव उठनी एकादशी के बाद शिव तीनों लोकों की सत्ता फिर विष्णु भगवान को सौंप देते हैं।
मान्यता है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए शयन काल में चले जाते हैं। इस दौरान कोई शुभ कार्य नही होते। भगवान शिव सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। श्रीहरि जब योगनिद्रा से उठते हैं तो भगवान शिव उन्हें सारा कार्यभार सौंपते हैं। इसी दिन को वैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन हरि और हर अर्थात भगवान शिव और विष्णु का मिलन होता है। इसलिए इसे हरिहर मिलन कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान का अति पुण्य है।
यह है कथा
वैकुण्ठ चतुर्दशी को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से प्रथम यह है कि भगवान विष्णु शिवभक्ति के लिए वाराणासी चले जाते हैं। वे वहां हजार कमल पुष्पों से उनकी आराधना करते हैं। लेकिन उनके कमल गायब हो जाते हैं। ऐसे वे अपना एक नेत्र जिन्हें कमल के समान ही सुंदर बताया गया है निकालकर शिव को चढ़ा देते हैं। इस पर प्रसन्न होकर शिव स्वयं प्रकट हो जाते हैं और उन्हें नेत्र के साथ ही सुदर्शन चक्र भी प्रदान करते हैं। इसे हरिहर मिलन कहा जाता है।
वहीं दूसरी कथा के अनुसार धनेश्वर नामक ब्राम्हण धर्म के विपरीत काम करता था वह लोगों को बहुत सताता था, लेकिन एक दिन बहुत से संत गोदावरी में स्नान करने के लिए आए उनके साथ धनेश्वर भी था। उस दिन चतुर्दशी का दिन था। संतों के स्पर्श से उसके भी पाप धुल गए। जब मृत्यु के उपरांत उसे नरक ले जाया गया तब भगवान विष्णु वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व बताते हुए उसे वैकुण्ठ में स्थान दिया।
इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु को कमल अर्पित करना चाहिए। विष्णुपाठ और मंत्रों का जाप भी अति शुभ बताया गया है। योगनिंद्रा से आने के बाद हरि पुनः कार्यभार संभालते हैं। अतः घंटे, शंख, नगाड़े से उनका नमन करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ 2 नवंबर 2017 16.11 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त 3 नवंबर 2017 13.46 बजे तक
Created On :   1 Nov 2017 3:02 AM GMT