वैशाख मास प्रारंभ : इस प्रकार करें स्नान व व्रत

वैशाख मास प्रारंभ : इस प्रकार करें स्नान व व्रत

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख वर्ष का दूसरा माह है। चैत्र पूर्णिमा के बाद आने वाली प्रतिपदा से वैशाख मास का आरंभ होता है। धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर वैशाख महीने का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। वैशाख मास में धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नानादि का भी महत्व माना जाता है। वैशाख मास का महत्व इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इसी मास में भगवान विष्णु के अवतार जिनमें नर-नारायण, भगवान परशुराम, नरसिंह अवतार आदि अवतार अवतरित हुए थे। मान्यता है कि देवी सीता भी इसी मास में धरती माता की कोख से प्रकट हुई थीं।
 

चैत्र शुक्ल पूर्णिमा से वैशाख मास स्नान आरंभ हो जाता है। यह स्नान पूरे वैशाख मास तक चलता है। वैशाख मास को सभी मासों में से उत्तम मास माना जाता है। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से वो प्रसन्न होते हैं। जो व्यक्ति वैशाख मास में सूर्योदय से पहले स्नान करता है उससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और विशेष लाभ देते हैं। सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल मिलता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर सकता है।
 

धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि जो व्यक्ति इस मास में जलदान नहीं कर सकता वह दूसरों को जलदान का महत्व समझाए, तो भी उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस मास में जल देकर थके-मांदे लोगों को संतुष्ट करने वाला मनुष्य ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवताओं को संतुष्ट कर देता है। इसलिए इस मास में प्याऊ लगाया जाता है।
 

इस प्रकार करें व्रत

वैशाख स्नान के दौरान व्रत किया जाता है। व्रत के दिन महात्म्य की कथा सुनना चाहिए और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। व्रती को केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए। वैशाख मास में जलदान का विशेष महत्व है। इस मास में प्याऊ की स्थापना करवाना चाहिए। पंखा, खरबूजा एवं अन्य फल, नवीन अन्न आदि का दान करना चाहिए।

माना जाता है कि इस मास में तेल लगाना, दिन में सोना, कांसे के बर्तन में भोजन करना, दो बार भोजन करना, रात में खाना वर्जित होता है।

Created On :   31 March 2018 10:59 AM IST

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