कब आभास होती हैं प्रेत आत्माओं की उपस्थिति? और क्या है इनसे बचने के उपाय ? आइए जानते हैं...

When are the presence of the phantom spirits ? Lets know...
कब आभास होती हैं प्रेत आत्माओं की उपस्थिति? और क्या है इनसे बचने के उपाय ? आइए जानते हैं...
कब आभास होती हैं प्रेत आत्माओं की उपस्थिति? और क्या है इनसे बचने के उपाय ? आइए जानते हैं...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भूत-प्रेत के होने पर विश्वास करना बहुत मुश्किल होता है। विशेषकर उन लोगों के लिए जिन्हें कभी पारलौकिक शक्तियों का अनुभव हुआ ही नहीं और जिन्हें लगता है कि ये सब बातें सिर्फ मन बहलाने का जरिया मात्र है। लेकिन जो लोग पारलौकिक शक्तियों का अनुभव कर चुके हैं या जो इन अदृश्य शक्तियों पर विश्वास करते हैं उनका मानना है कि ईश्वर को भी किसी ने नहीं देखा लेकिन हम उस पर भी भरोसा करते हैं तो आत्माओं के होने पर संदेह क्यों?

जो लोग इन सब बातों पर भरोसा करते हैं उनके ज्ञान के लिए हम बताने जा रहे हैं कि जब भी आपको इस प्रकार के अनुभव होते हैं तो अधिकांशत: वे आत्माएं किस प्रकार की होती हैं, कैसी लगती हैं और आपको किस समय वह अपने होने का अनुभव कराती हैं। परंतु जो लोग इन पराशक्तियों के होने को केवल मात्र भ्रम मानते हैं, ये लेख उन्हें ज्ञानवर्धक लग सकता है।

आंकड़ों के अनुसार
भूत-प्रेत या परशाक्तियां कब हमें अनुभव होती हैं, इस प्रश्न के उत्तर में अधिकतर लोग यही कहते हैं की ये शक्तियां रात के अंधेरे में ही अपना अहसास करती हैं। ये इसलिए क्योंकि फिल्मों, धारावाहिकों और अन्य कहानियों में हमने ऐसा ही सुना या देखा है कि पारलौकिक शक्तियां रात के समय ही सक्रिय होती हैं, लेकिन यह सत्य नहीं है। अभी तक के आंकड़ों के अनुसार करीब 54 प्रतिशत प्रेत का अनुभव दिन के उजाले में होते हैं।

भूत-प्रेत होने के क्या लक्षण क्या हैं ?
S.S.R.F. द्वारा किए गए शोधों से ज्ञात हुआ है कि पूरे विश्व में अधिकतर घरों के स्पंदन विविध कारणों से नकारात्मक होते हैं। 

घर में वस्तुओं का गायब होना और फिर पुनः मिल जाना 
घर में अपरिचित या अनजान वस्तुओं का मिलना
घर के चारों ओर कोई अनाकलनीय चिह उभरना, जैसे दीवार पर खरोंच के निशान, अलमारियों अथवा दीवारों पर भयानक चेहरे, हाँथ, पैर के चिन्ह, निशान इत्यादि।
बिना किसी कारण के अजीब सी विचित्र ध्वनि या आवाज सुनाई देना अथवा दरवाजे के खुलने या बंद होने की आवाज, कुछ पीटने की, हंसने की, चलने, बोलने आदि की आवाज सुनार्इ देना।
जहां आप हैं वहां के तापमान में अनायास ही परिवर्त्तन हो जाना – 40 प्रतिशत उष्ण तापमान से 18 प्रतिशत तापमान तक ठंडा हो जाना।

.बिना किसी कारण के बत्तियों अथवा विद्युत (बिजली) के उपकरण का बार-बार जलना-बंद होना जाना या उनका काम न करना

.मोबार्इल या टेलीफोन का काम न करना

.सात्विक पौधों जैसे तुलसी आदि का मुरझा या सूख जाना

.कुत्ते अथवा बिल्ली का रोना या अकारण ही लगातार भौंकते रहना

.बिना किसी कारण के पालतू जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली का मर जाना

असामान्य घटनाएं
कुछ असामान्य घटनाएं जैसे कीड़े- मकोडों, खटमल, लाल चीटीयां, तिलचट्टे अथवा चूहों का अनायास ही घर में बढ़ जाना साथ ही अचानक ही बिना कारण के धार्मिक चिह्न जैसे :- ॐ, क्रोस,या 786 का घर में अचानक से उभरना
घर में अकारण अशांति तथा एक दुसरे के प्रति शत्रुता उत्पन्न होना
घर में अकारण ही बार-बार रोग या अन्य समस्याएं जैसे आर्थिक समस्या होना
अकारण घर में लगातार मृत्यु होना, बार-बार किसी की उपस्थिति अनुभव होना
कपड़ों, वस्तुओं या फर्श पर बिना किसी कारण के खून के धब्बे बन जाना
जैसे कोर्इ निगरानी कर रहा हो इस बात का अनुभव होना या वास्तव में अनिष्ट शक्ति दिखना

ये नकारात्मक स्पंदन अनिष्ट शक्तियों तथा मृत पूर्वजों को आकर्षित कर घर को भूतावेशित करते हैं। घर को आविष्ट करने वाली अनिष्ट शक्तियां तथा मृत पूर्वज घर में रहनेवालों को निरंतर कष्ट देते रहते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हम आविष्ट घर के लक्षणों को पहचान सके जिससे समस्या को समाप्त करने का हम उपाय कर सकें। केवल संत तथा अति विकसित छठवीं इंद्रिय की क्षमतायुक्त व्यक्ति ही वास्तव में समझ सकते हैं कि कोर्इ घर आविष्ट है या नहीं। हमने घर में पराशक्तियां होने के कुछ लक्षणों को बताया है, जिससे उसमें भूत-प्रेत रहने के बारे में ध्यान दिया जा सके ताकि। समय पर सही उपचार से उसे दूर कर सकें| 

प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय... क्या हैं जाने?
 
चरक संहिता में प्रेत बाधा से पीड़ित रोगी के लक्षण और निदान के उपाय विस्तार से मिलते हैं। ज्योतिष साहित्य के मूल ग्रंथों- प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं जो प्रेत पीड़ा, पितृ दोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं।

अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन दिया गया है। यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल और आसान उपाय।

1. ॐ या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लॉकेट गले में धारण करें और घर के बाहर एक त्रिशूल में जड़ा ॐ का प्रतीक दरवाजे के ऊपर लगाएं। सिर पर चंदन, केसर या भभूति का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांध कर रखें।
2. दीपावली के दिन सरसों के तेल का या शुद्ध घी का दिया जलाकर काजल बना लें। इस काजल को लगाने से भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी आदि से रक्षा होती है और बुरी नजर से भी दूर रहती है।
3. घर में रात्रि में भोजन के बाद सोने से पूर्व चांदी की कटोरी में देवस्थान या किसी अन्य पवित्र स्थल पर कपूर तथा लौंग जला दें। इससे आकस्मिक, दैहिक, दैविक एवं भौतिक संकटों से मुक्त मिलती है।
4. प्रेत बाधा दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में चिड़चिटे अथवा धतूरे का पौधा जड़सहित उखाड़ कर उसे घर की जमीन में ऐसा दबा दें कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती में समा जाएं। इस उपाय से घर में प्रेतबाधा नहीं रहती और व्यक्ति सुख-शांति का अनुभव करता है।

5. प्रेत बाधा निवारक हनुमत मंत्र – 

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय 
भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, 
यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम्‌ 
क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा। 

इस हनुमान मंत्र का पांच बार उच्चारण करने से भूत-प्रेत कभी भी निकट नहीं आ सकते।

6. अशोक वृक्ष के सात पत्ते मंदिर में रख कर पूजा करें। उनके सूखने पर नए पत्ते रखें और पुराने पत्ते पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। यह क्रिया नियमित रूप से करें, आपका घर भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष आदि से मुक्त रहेगा।
7. गणेश भगवान को एक पूरी सुपारी रोज चढ़ाएं और एक कटोरी चावल अपने घर से दान करें। 
यह क्रिया एक वर्ष तक करें, नजर दोष व भूत-प्रेत बाधा आदि के कारण बाधित सभी कार्य पूरे होंगे।
8. माता काली के लिए उनके नाम से प्रतिदिन अच्छी तरह से पवित्र की हुई दो अगरबत्ती सुबह और दो शाम को दिन ढलने से पूर्व लगाएं और उनसे घर और शरीर की रक्षा करने की प्रार्थना करें।
9. हनुमान चालीसा और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें और हनुमान मंदिर में हनुमान जी का श्रृंगार करें व चोला चढ़ाएं।
10. मंगलवार या शनिवार के दिन बजरंग बाण का पाठ शुरू करें। 
यह डर और भय को भगाने का सबसे अच्छा उपाय है। 

इस तरह यह कुछ सरल और प्रभावशाली टोटके हैं, जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता। ध्यान रहें, नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा आदि से मुक्ति हेतु उपाय ही करने चाहिए टोना या टोटके नहीं।

सावधानी:- सदा हनुमानजी का स्मरण करें। चतुर्थी, तेरस, चौदस और अमावस्या को पवित्रता का पालन करें। मांस मदिरा-शराब आदि का सेवन नही करें। 

नदी, पूल या सड़क पार करते समय भगवान का ध्यान जरूर करें। 
एकांत में शयन या यात्रा करते समय पवित्रता का ध्यान रखें। 
मल-मूत्र त्याग करने के बाद पानी अवश्य लें और स्थान देखकर ही मल-मूत्र का त्याग करें।
रात्रि में सोने से पूर्व भूत-प्रेत आदि की चर्चा नही करें। किसी भी प्रकार के टोने-टोटकों से बच कर रहें।
ऐसे किसी भी स्थान पर न जाएं, जहां पर की तांत्रिक अनुष्ठान होता हो और जहां किसी पशु की बलि दी जाती हो या जहां भी लोभान आदि के धुएं से भूत भगाने का दावा किया जाता हो। 
भूत भागाने वाले सभी स्थानों से बच कर रहें, क्योंकि यह धर्म और पवित्रता के विरुद्ध है।

जो लोग भूत, प्रेत या जिन्द की उपासना करते हैं, वह राक्षसी कर्म के होते हैं। ऐसे लोगों का संपूर्ण जीवन ही भूतों के अधीन हो जाता है। भूत-प्रेत से बचने के लिए ऐसे कोई भी टोने-टोटके न करें जो धर्म विरुद्ध हो। हो सकता है आपको इससे तात्कालिक लाभ मिल जाए, लेकिन अंतत: जीवन भर आपको परेशान ही रहना पड़ेगा।

Created On :   23 Nov 2018 3:46 PM IST

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