अध्यात्म: जानिए पूजा में क्यों बांधते हैं रक्षा सूत्र? ये है रक्षा सूत्र को बाधंने के जरूर नियम

- देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में यह बंधन बांधा था
- तीन रंग का रक्षा सूत्र होता उसे त्रिदेव कहते हैं
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में रक्षा सूत्र का अत्यधिक महत्व है और जो कई मिथकों, परंपराओं, अनुष्ठानों और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ हुआ है। रक्षा सूत्र को मौली या कलाव नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कलाई पर रक्षा सूत्र क्यों बाधते हैं? कहा जाता है कि कलाई पर रक्षा सूत्र को बांध से भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश के साथ ही माता-लक्ष्मी, पार्वती और मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। वहीं ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था। इस को रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है। रक्षा सूत्र को कच्चे सूत से तैयार किया जाता है।
अधिकतर इसमें तीन रंग के धागे होते हैं लाल, पीला और हरा। कहा जाता कि तीन रंग का रक्षा सूत्र होता उसे त्रिदेव कहते हैं। लेकिन कई बार यह पांच रंग के धागों से भी तैयार होता जिसमें सफेद या नारंगी होता है। इस रक्षा सूत्र को पचंदेव कहा जाता है। इसलिए कहा जाता कि रक्षा सूत्र धारण करने वाले मनुष्य की सभी प्रकार से रक्षा होती है।
रक्षा सूत्र बाधंने के नियम
- ऐसी मान्यता है कि जिस हाथ में रक्षा सूत्र बंधवा रहे हों, उस हाथ की मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।
- रक्षा सूत्र बाधंते समय 3 या 5 बार सूत्र को कलाई में घुमाएं। कहा जाता कि यह संख्या शुभ होती है।
- ध्यान रखें कि रक्षा सूत्र बाधंते समय हाथ खाली नहीं होना चाहिए, इस दौरान हाथ में कुछ रुपए रख लें।
- पुरुषों और कुंवारी कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधना चाहिए।
- विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधना चाहिए।
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Created On :   28 July 2023 12:15 PM IST