हाथों से दिव्यांग नंदलाल पैरों के सहारे बनना चाहता है आईएएस अधिकारी

Bihar: Handicapped Nandlal wants to become an IAS officer with the help of feet
हाथों से दिव्यांग नंदलाल पैरों के सहारे बनना चाहता है आईएएस अधिकारी
बिहार हाथों से दिव्यांग नंदलाल पैरों के सहारे बनना चाहता है आईएएस अधिकारी
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  • बिहार: हाथों से दिव्यांग नंदलाल पैरों के सहारे बनना चाहता है आईएएस अधिकारी

डिजिटल डेस्क, मुंगेर। कहा जाता है कि अगर हौसला, ²ढ़ इच्छा और समर्पण भाव हो तो कोई भी बाधा व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। बिहार के मुंगेर जिला के संत टोला निवासी नंदलाल ने भी ऐसा ही कुछ करने की ठानी है।

नंदलाल को भले ही बचपन में हुई एक दुर्घटना में दोनों हाथ गंवाने पड़ गए हों, लेकिन पढ़ने-लिखने और भारतीय प्रशासनिक सेवा में अधिकारी बनने के सपने को वह पूरा करने के लिए अभी भी आगे बढ़ रहा है।

हवेली खड़गपुर नगर क्षेत्र के संत टोला निवासी अजय कुमार साह और बेबी देवी का पुत्र नंदलाल दोनों हाथों से दिव्यांग हैं, लेकिन संघर्षशील नंदलाल ने अपने पैरों के सहारे ही इतिहास रचने की ठान ली है।

नंदलाल के पिता अजय अपने गांव में ही एक गुमटीनुमा दुकान चलाकर परिवार की गाड़ी खींच रहे हैं। वे बताते हैं कि बचपन में ही बिजली के करंट की चपेट में आने से नंदलाल को अपना दोनों हाथ खोना पड़ा था, लेकिन इसके बावजूद इसने अपना सपना नहीं टूटने दिया। आज दिव्यांग नंदलाल स्नातक (बीए) पार्ट वन की परीक्षा दे रहा है।

नंदलाल अन्य परीक्षार्थियों के साथ ही आर एस कॉलेज तारापुर में परीक्षा में शामिल हो रहा है। आज नंदलाल अपने दाएं पैर से लिखता है।

नंदलाल ने बताया कि 2006 में बिजली के करंट लगने के कारण उसके दोनो हाथ काटने पड़े। वे कहते हैं कि प्रारंभ में तो हमारी हिम्मत टूट गई थी, लेकिन दादाजी और परिजनों ने हिम्मत दी और पैर से लिखने की ओर प्रोत्साहित किया। धीरे-धीरे पैर से ही लिखना सीख गया। प्रारंभ में लिखने की गति कम रही लेकिन अब अन्य छात्रों की तरह मैं भी लिख लेता हूं।

वर्ष 2017 में मैट्रिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास नंदलाल को तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी संजीव कुमार ने एक लाख की राशि दी थी और प्रोत्साहन दिया था।

उन्होंने बताया कि मेरा लक्ष्य तो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनने का है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह आसान नहीं लगता। नंदलाल मायूस होकर बताते हैं कि अगर कोई मदद मिल गई तब तो अपने सपने को पूरा करूंगा, अगर नहीं तो बीए करने के बाद बीएड की पढ़ाई कर शिक्षक बनूंगा।

नंदलाल वर्ष 2019 में इंटरमीडिएट (साइंस) की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया है। नंदलाल के पिताजी कहते हैं कि अपनी क्षमता के मुताबिक नंदलाल को पढ़ने का खर्च दे पाते हैं, लेकिन बाहर पढ़ाने की क्षमता तो नहीं है।

 

आईएएनएस

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Created On :   29 Jun 2022 1:01 PM GMT

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