'कॉपी राइट एक्ट और फिल्म का नाम': T-Series हारी 'आशिकी' की जंग! क्या है कॉपी राइट कानून, जिसके चलते चाह कर भी फिल्म को मनपसंद नाम नहीं दे पाए भूषण कुमार

T-Series हारी आशिकी की जंग! क्या है कॉपी राइट कानून, जिसके चलते चाह कर भी फिल्म को मनपसंद नाम नहीं दे पाए भूषण कुमार
  • T-Series हारी 'आशिकी' टाइटल केस
  • क्या है कॉपी राइट कानून
  • कैसे होता है फिल्मों के टाइटल का रजिस्ट्रेशन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। टी सीरीज एक पावरफुल प्रोडक्शन हाउस है जिसके साथ काम करना हर कलाकार का सपना होत है। टी सीरीज चाहे तो किसी का भी करियर बना सकता है और बिगाड़ सकता है। इसके बावजूद टी सीरीज अपनी अपकमिंग फिल्म को वो नाम नहीं दे पाया जो वो देना चाहता था। अब आपके मन में ये सवाल होगा कि आखिर ऐसा क्यों? तो बता दें किं, महेश भट्ट ने टी सीरीज पर केस करके उन्हें फिल्म का टाइटल यूज करने से रोक दिया है। कॉपीराइट कानून के तहत महेश भट्ट ने टी सीरीज को आपनी फिल्म का टाइटल आशिकी यूज करने से रोक दिया। तो चलिए जानते हैं ये कॉपीराइट एक्ट क्या है और किस तरह से फिल्म के टाइटल्स को रजिस्टर कराया जाता है।

कॉपीराइट एक्ट 1957

कॉपीराइट अधिनियम 1957 में कलाकारों के अधिकारों को शामिल किया गया है जो सिंगर, एक्टर, साहित्यिक (जैसे किताबें, लेख), नाटकीय (जैसे नाटक, फिल्में), म्यूजिक, और अन्य कलाकारों को उनके काम के लिए कानूनी सुरक्षा देता है। इसका मतलब है कि उनकी आवाज, एक्टिंग या राइटिंग को बिना उनकी अनुमति के प्रोफेशनली इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। यह अधिकार 50 साल तक लागू रहता है। कॉपीराइट का स्वामी अपने कार्य को दूसरों को उपयोग करने की अनुमति देने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन बिना अनुमति के उनकी कला का उपयोग कॉपीराइट उल्लंघन होगा।

कॉपीराइट अधिनियम 1957 की धारा 13 (1) यह बताती है कि किस प्रकार के कार्यों में कॉपीराइट का अधिकार होता है। यह साहित्यिक, नाटकीय, संगीत और कलात्मक कृतियों, फिल्मों और ध्वनि रिकॉर्डिंग को शामिल करता है। वहीं धारा 14 कॉपीराइट के ऑनर को अपने काम के उपयोग और डिस्ट्रीब्यूशन पर नियंत्रण रखने का अधिकार प्रदान करती है। सेक्शन 44 कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत कॉपीराइट रजिस्टर के बारे में बताता है। यह प्रावधान कॉपीराइट कार्यालय में एक रजिस्टर बनाए रखने के लिए कहता है, जिसे "कॉपीराइट रजिस्टर" कहा जाता है। इसमें फिल्मों रचनाओं के नाम या शीर्षक, लेखकों, प्रकाशकों और कॉपीराइट के मालिकों के नाम और पते जैसी जानकारी को नोट किया जाता है।

क्या टाइटल राइट्स कॉपीराइट एक्ट के तरह आते हैं?

फिल्म का टाइटल कुछ खास परिस्थितियों में ही कॉपीराइट के तहत आ सकता है जिसमें से एक है टाइटल का किसी फेमस कविता या गीत की लाइनों से मेल खाना. या उन लाइनों को ज्यों का त्यों यूज करना। क्रिएटिव तरीके से लिखी गई लाइन्स भी इसी दायरे में आती हैं। दूसरी कंडिशन है फिल्म के टाइटल का किसी सीरीज या फिल्म फ्रेंचाइजी के नाम से मैच करना। मसलन कोई अपनी फिल्म के नाम में अगर हैरी पॉटर शब्द यूज करता है, तो वो कॉपीराइट में आ सकता है। क्योंकि, हैरी पॉटर क ब्रांडेड सीरीज है। लेकिन एक आम फिल्म का नाम जैसे – “प्यार का मौसम” या “दिल से” जैसे सामान्य टाइटल कॉपीराइट से प्रोटेक्टेड नहीं होते हैं इसलिए फिल्म के ऐसे टाइटल को प्रोटेक्ट करने के लिए ट्रेंडमार्क रजिस्ट्रेशन और Film bodies में टाइटल रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। तो चलिए जानते हैं ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन और फिल्म बॉडीज में फिल्म टाइटल रजिस्ट्रेशन क्या होता है, कैसे किया जाता है।

फिल्म टाइटल का ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन

फिल्म के टाइटल को ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में रजिस्टर कराने का मतलब होता है कि आप उस टाइटल को एक ब्रांड नेम की तरह सुरक्षित कर रहे हैं ताकि कोई और व्यक्ति या कंपनी उसे बिना आपकी अनुमति के इस्तेमाल न कर सके। ट्रेडमार्क एक ऐसा चिन्ह (नाम, लोगो, शब्द या टैगलाइन) होता है जो किसी प्रोडक्ट या सर्विस की पहचान कराता है। जब आप किसी फिल्म का नाम रजिस्टर करते हैं, तो आप यह इनश्योर करते हैं कि वह टाइटल आपका एक्सक्लूसिव बन जाए और आपकी मर्जी के बिना कोई इसे उपयोग ना करे। इसके कारण भविष्य में मर्चेंडाइज, रीमेक, सीक्वल आदि के लिए अधिकार सुरक्षित हो जाते हैं। बता दें कि, ट्रेडमार्क केवल नाम को प्रोटेक्ट करता है, स्क्रिप्ट या कहानी को नहीं।

रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया:

अगर आप किसी नाम को रजिस्टर करा रहे हैं तो पहले यह देख लें कि वही नाम पहले से किसी और ने रजिस्टर नहीं करवा रखा हो। इसके लिए IP India की वेबसाइट पर जाकर ट्रेडमार्क सर्च किया जा सकता है। इसके बाद ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए "TM-A" फॉर्म ऑनलाइन भरना होता है। फिल्मों के लिए आमतौर पर Class 41 (एंटरटेनमेंट सर्विसेस) में आवेदन होता है। व्यक्तिगत या स्टार्टअप के लिए फीस लगभग ₹4,500/- से ₹9,000/- तक हो सकती है। इसके बाद डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें। अप्लिकेंट का नाम और पता, फिल्म का टाइटल डाले। सबमिट करने के बाद आपको एक TM नंबर मिलेगा जिससे आप अपनी एप्लिकेशन का स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं। अगर कोई आपत्ति नहीं आती, तो ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन को पूरा होने में लगभग 6-12 महीने का समय लग सकता है।

मान्यता प्राप्त संस्थाओं में टाइटल रजिस्ट्रेशन

जब कोई फिल्म प्रोड्यूसर या राइटर किसी फिल्म का नाम तय करता है, तो वो चाहता है कि कोई और उस नाम का इस्तेमाल न करे। इसके लिए वह उस टाइटल को फिल्म इंडस्ट्री की मान्यता प्राप्त संस्थाओं (film bodies) में रजिस्टर कराता है। इस रजिस्ट्रेशन से यह सुनिश्चित होता है कि वह टाइटल एक तय समय तक केवल उसी व्यक्ति के पास रिजर्व रहेगा। फिल्म इंडस्ट्री में मान्यता प्राप्त संस्थाओं में IFTPC, IMPPA, SWA आदि का नाम शामिल है। एक टाइटल कई संस्थाओं में एक साथ रजिस्टर किया जा सकता है। यह रजिस्ट्रेशन केवल इंडस्ट्री लेवल पर सुरक्षा देता है, लीगल ट्रेडमार्क की तरह नहीं। रजिस्टर टाइटल का मतलब यह नहीं कि आप उसका कॉपीराइट या ट्रेडमार्क मालिक के भी मालिक हैं इसके लिए अलग रजिस्ट्रेशन करना होता है।

IFTPC- Indian Film & Television Producers Council यह संस्था टीवी और फिल्म निर्माताओं की प्रमुख संस्था है। निर्माता यहां अपने प्रोजेक्ट का टाइटल रजिस्टर करवा सकते हैं। टाइटल यहां पर लगभग एक साल तक के लिए रिजर्व हो जाता है। इसके बाद इसे रिन्युअल भी करवाया जा सकता है।

IMPPA – Indian Motion Picture Producers’ Association ये भारत के पुराने और प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं की संस्था है। हिंदी फिल्मों के निर्माताओं के लिए काफी पॉपुलर भी है। यहां भी टाइटल रजिस्ट्रेशन होता है, और डुप्लीकेट नामों की जांच की जाती है।

SWA – Screenwriters Association यह संस्था लेखकों की है जैसे कि स्क्रीनप्ले राइटर, डायलॉग राइटर, आदि। यहां लेखक अपने कहानी, स्क्रिप्ट और टाइटल को रजिस्टर करवा सकते हैं। यह रजिस्ट्रेशन कॉपीराइट जैसा काम करता है, यानी कोई और आपकी स्क्रिप्ट या टाइटल चुरा नहीं सकता।

टाइटल रजिस्टर कराने की प्रक्रिया:

• संस्था की वेबसाइट पर जाएं

• सदस्यता लें (अगर पहली बार कर रहे हैं)

• ऑनलाइन फॉर्म भरें (टाइटल का नाम, भाषा, कैटेगरी आदि)

• फीस जमा करें (आमतौर पर ₹300 से ₹1,000 तक)

• कन्फर्मेशन और टाइटल रिज़र्वेशन की रसीद मिलती है।

इन फिल्मों के टाइटल और ट्रेडमार्क को लेकर बॉलीवुड में छिड़ा विवाद

ये पहले बार नहीं है जब किसी फिल्म के टाइटल को लेकर विवाद छिड़ा है इससे पहले भी कई बॉलीवुड फिल्म को लेकर विवाद कोर्ट तक पहुच चुका है। इस लिस्ट में कई बड़ी फिल्मों का नाम शामिल है जैसे- सलमान खान की फिल्म जय हो, ऋतिक रोशन की फिल्म क्रिश, हेरा फेरी। इसके अलावा कई फिल्में ऐसी हैं जिसके नाम को लेकर विवाद हुआ लेकिन उसे फिल्म मेकर्स ने साथ मिलकर ही सुलझा लिया और मामला कोर्ट तक नहीं पहुंच पाया। ऐसी फिल्म की लिस्टा में रणवीर कपूर की फिल्म बर्फी का नाम शामिल है।

Created On :   1 May 2025 3:51 PM IST

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