फिल्म धड़क 2: शहरी समाज के जातिवादी मुखौटे को बेनकाब करती एक प्रेम कहानी

- फिल्म धड़क 2 सिनेमाघरों में हुई रिलीज
- शहरी समाज के जातिवादी मुखौटे को बेनकाब करती है कहानी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कुछ कहानियां दिल को छू जाती हैं, और कुछ सीधे दिमाग पर असर करती हैं। ‘धड़क 2' उन्हीं कहानियों में से एक है जो संवेदना और सोच दोनों को झकझोर देती है। ‘धड़क 2' सामाजिक यथार्थ से गहराई से जुड़ी एक मजबूत फिल्म है। यह फिल्म जातिवाद को उस शहरी आवरण में दिखाती है, जहां लोग खुद को ‘प्रगतिशील' समझते हैं लेकिन असल में अंदर ही अंदर उन्हीं रूढ़ियों को जी रहे होते हैं। इस बार यह कहानी किसी छोटे शहर की गलियों से नहीं, बल्कि लॉ कॉलेज के कैंपस से शुरू होती है। एक दलित युवक (सिद्धांत चतुर्वेदी) जब पढ़ाई के लिए शहर आता है, तो उसकी मुलाक़ात एक उच्च जाति की लड़की (तृप्ति डिमरी) से होती है। दोस्ती धीरे-धीरे मोहब्बत में बदलती है, लेकिन यह प्रेम सामाजिक बंदिशों, जातिगत पूर्वग्रहों और पारिवारिक सख़्ती की दीवार से टकरा जाता है। कॉलेज का माहौल, समाज की सोच और लड़की के परिवार की परंपरागत सोच दोनों के रिश्ते के सामने एक-एक कर चुनौतियां खड़ी करती है। कहानी उन संघर्षों की है, जहां प्रेम, आत्मसम्मान, पहचान और सामाजिक व्यवस्था के बीच ज़ोरदार टकराव होता है। फिल्म हर मोड़ पर सिस्टम, परंपरा और असमानता को कठघरे में खड़ा करती है।
फिल्म देखने के बाद यह सवाल उठ सकता है कि क्या आज भी ऐसा होता है? या यह विषय अब पुराना पड़ चुका है? लेकिन सिनेमा की यही ताकत है कि वह किसी भी समय, किसी भी विषय को अपने तरीके से कह सकता है। निर्देशक साजिया इकबाल ने इस कहानी को संवेदनशीलता से पेश किया है, और धर्मा प्रोडक्शन जैसे बड़े बैनर का इस विषय पर हाथ रखना निस्संदेह साहसिक है। सिद्धांत चतुर्वेदी ने अपने किरदार को सहजता और गहराई से निभाया है। वहीं तृप्ति डिमरी भी कई दृश्यों में दमदार दिखती हैं। विपिन शर्मा, ज़ाकिर हुसैन, आदित्य और साद जैसे कलाकार अपने-अपने किरदारों में सधे हुए नजर आते हैं। हालांकि सौरभ सचदेव का किरदार अधूरा महसूस होता है। उनके चरित्र की पृष्ठभूमि और सोच को पर्याप्त विस्तार नहीं दिया गया है, जिससे उनके निर्णय अधूरे लगते हैं।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है और दृश्य प्रभावशाली हैं। निर्देशक साजिया में क्षमता है, लेकिन उन्हें स्क्रीनप्ले को और कसावट देने की जरूरत महसूस होती है। कुल मिलाकर, ‘धड़क 2’ एक साहसी प्रयास है, एक ऐसी फिल्म जो प्रेम के बहाने समाज की असली जटिलताओं से साक्षात्कार कराती है।
रेटिंग: ★★★☆ (3.5 /5)
Created On :   1 Aug 2025 4:20 PM IST