कोरोना ने कनॉट प्लेस के कारोबार को मानो आईसीयू में पहुंचा दिया

Corona transports Connaught Place business to ICU
कोरोना ने कनॉट प्लेस के कारोबार को मानो आईसीयू में पहुंचा दिया
कोरोना ने कनॉट प्लेस के कारोबार को मानो आईसीयू में पहुंचा दिया
हाईलाइट
  • कोरोना ने कनॉट प्लेस के कारोबार को मानो आईसीयू में पहुंचा दिया

नई दिल्ली, 18 मार्च(आईएएनएस)। जिस कनॉट प्लेस(सीपी) को दिल्ली का दिल कहते हैं, वह इतना उदास पहले कभी नहीं दिखा। जो सीपी हमेशा गुलजार रहता था, उसकी आजकल रौनक ही गायब और उसे लोगों का इंतजार है। सीपी की सड़कों पर सन्नाटा है, तो गलियारों में खामोशी पसरी है। इन खामोशियों में उन छोटे दुकानदारों का दर्द छिपा है, जो फुटपाथ पर चाय से लेकर चश्मे बेचकर दो जून की रोटी का किसी तरह इंतजाम करते हैं।

रोज कुआं खोदकर रोज पानी पीने जैसी जिंदगी जीने वाले छोटे-छोटे दुकानदारों की कोरोना ने कमर तोड़ कर रख दी है। इसे चाहे कोरोना को लेकर जागरूकता का असर कहें या फिर दिलोदिमाग में बैठा डर कि लोग घरों में दुबक गए हैं। नतीजा यह है कि सबसे व्यस्त रहने वाला कनॉट प्लेस अब सुनसान हो चला है। कोरोना ने यहां के कारोबार को मानो आईसीयू में पहुंचा दिया है।

आईएएनएस ने बुधवार की शाम करीब पांच बजे कनॉट प्लेस के माहौल का जायजा लिया। अमूमन इस वक्त कनॉट प्लेस अपनी पूरी रौनक में होता है। आम दिनों में कनॉट प्लेस के गलियारों में भीड़ इतनी होती है कि मानो तिल रखने की जगह न हो। दुकानों पर भीड़ के कारण कई बार आवाज देने पर सामान मिल पाता है। पार्किं ग के लिए भी गाड़ी वालों को जहमत उठानी पड़ती है। मगर, बुधवार को ऐसा कुछ नहीं दिखा। पूरे सीपी में वीरानगी छाई रही। ऑटो वाले सवारी का इंतजार करते रहे तो दुकानदार ग्राहकों को ढूंढते रहे।

कनॉट प्लेस में फुटपाथ पर आर्टिफिशियल ज्वैलरी बेचने वाले विशाल काफी मायूस दिखे। पूछने पर बोले कि कोरोना तो घर का चूल्हा ही ठंडा करने पर तुला है। पहले हर दिन डेढ़ से दो हजार रुपये का बिजनेस हो जाता था। शाम को ग्राहकों से फुर्सत नहीं मिलती थी। अब तीन-चार सौ रुपये का माल बिकना भी मुहाल हो गया है।

बच्चों के खिलौने बेचने वाले प्रदीप कुमार ने कहा, पिछले एक हफ्ते से सीपी में लोगों का आना बहुत कम हो गया है। एक घंटे में बमुश्किल दो से तीन लोग दुकान पर आते हैं और उसमें भी दाम पूछकर चले जाते हैं। पहले इतने में दर्जनों ग्राहक आकर खरीदकर सामान चले जाते थे।

मोबाइल से जुड़े सामान और चश्मे बेचने वाले मुजीब अहमद यह सोचकर चिंतित दिखे कि अब वह कैसे कमरे का किराया देंगे।

मुजीब ने बताया, वह 12 हजार रुपये महीने का कमरा लेकर ग्रीन पार्क के पास वाले एरिया में रहते हैं। मगर पिछले दस दिनों से कुछ भी माल नहीं बिक रहा है। अगर कुछ दिन तक और यही समस्या रही तो फिर वह कमरे का किराया भी नहीं निकाल पाएंगे।

राजीव चौक मेट्रो के सात नंबर गेट से आजकल लोगों का बहुत कम निकलना हो रहा है। जिससे ऑटो चालकों की रोजी-रोटी पर संकट छा गया है। आलम यह है कि एक सवारी निकलने पर दस ऑटो चालक उन्हें बैठाने के लिए दौड़ पड़ते हैं।

पूछने पर ऑटो चालक रमेश ने कहा, पहले हर दस मिनट पर सवारी मिल जाती थी, अब घंटे-दो घंटे में भी कोई गारंटी नहीं है। हर दिन पहले डेढ़ से दो हजार की कमाई आसानी से हो जाती थी अब तो चार पांच सौ रुपये भी निकालना मुश्किल है। काम ही नहीं बचा है।

Created On :   18 March 2020 3:30 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story