हर्षवर्धन ने की आयुष उपचारों की वकालत, कहा- कोविड नियंत्रण के हैं गुण

Harsh Vardhan advocated Ayush remedies, said - Kovid control has qualities
हर्षवर्धन ने की आयुष उपचारों की वकालत, कहा- कोविड नियंत्रण के हैं गुण
हर्षवर्धन ने की आयुष उपचारों की वकालत, कहा- कोविड नियंत्रण के हैं गुण
हाईलाइट
  • हर्षवर्धन ने की आयुष उपचारों की वकालत
  • कहा- कोविड नियंत्रण के हैं गुण

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कोविड-19 बीमारी की रोकथाम और उपचार में आयुर्वेद आधारित उपचारों का बचाव करते हुए, इम्यूनिटी बढ़ाने में इसके प्रभाव की सराहना की।

यह पूछे जाने पर कि आयुर्वेद दवाओं के इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर प्रामाणिकता अभी साबित नहीं हुई है, इसके बाद भी इन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है। इस पर मंत्री ने कहा, आयुर्वेद में रोग प्रबंधन को लेकर एक समग्र दृष्टिकोण है, जिसमें सलुटोजेनेसिस नाम की एक प्रमुख एप्रोच है जो रोग की स्थिति और इसके रोकथाम के उपचार के लिए काम करती है।

उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक उपचारों को गहराई से किए गए अध्ययनों औंर प्रायोगिक अध्ययनों के बाद कोविड के इलाज या रोकथाम में शामिल किया गया है।

मंत्री से यह सवाल उनके संडे संवाद नाम से किए जाने वाले साप्ताहिक वेबिनार के दौरान पूछा गया था।

उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए परीक्षित प्राकृतिक आयुष उपचारों के उपयोग के बारे में सार्वजनिक तौर पर बढ़ावा दिया है।

उन्होंने आगे कहा, इसके अलावा, गुडुची, अश्वगंधा, गुडुची और पिप्पली कॉम्बिनेशन और आयुष 64 को लेकर पर्याप्त संख्या में अध्ययन किए गए हैं जो उनके इम्युनो-मॉड्यूलेटरी, एंटी-वायरल, एंटीपीयरेटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों को साबित करते हैं। इन उपचारों ने सिलिको स्टडीज में कोविड-19 वायरस को लेकर अच्छा असर दिखाया है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बनाई गई इंटरडिसिप्लीनरी टास्क फोर्स की सिफारिशों पर, प्रोफिलैक्सिस, सेकंडरी रोकथाम और कोविड पीड़ित मामलों के प्रबंधन में उनके प्रभाव का आकलन करने के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक उपायों को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन भी शुरू किया गया है।

वर्धन का बयान तब आया है, जब हाल ही में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुष आधारित नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी करने को लेकर कड़ी आलोचना की थी। इस प्रोटोकॉल में आयुर्वेद और योग के जरिए हल्के से मध्यम कोविड-19 मामलों की रोकथाम और उपचार करने की सलाह दी गई थी।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सबूत-आधारित दवाओं के बजाय प्रायोगिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए मंत्री की कड़ी आलोचना की थी।

एसडीजे/एसजीके

Created On :   11 Oct 2020 4:30 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story