दोबारा इंफेक्शन वाले मामलों का गलत वर्गीकरण हुआ : हर्षवर्धन

Misclassification of re-infection cases: Harsh Vardhan
दोबारा इंफेक्शन वाले मामलों का गलत वर्गीकरण हुआ : हर्षवर्धन
दोबारा इंफेक्शन वाले मामलों का गलत वर्गीकरण हुआ : हर्षवर्धन
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नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि कोविड-19 के री-इंफेक्शन मामलों का गलत तरीके से वर्गीकरण किया गया है और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ऐसी घटनाओं की सच्चाई जानने के लिए अध्ययन कर रही है।

अपने साप्ताहिक वेबिनार संडे संवाद में सोशल मीडिया श्रोताओं से मुखातिब हुए मंत्री ने कहा, वास्तविक मामलों और गलत मामलों के बीच अंतर करना बेहद जरूरी है।

मंत्री ने आगे कहा, भले ही विभिन्न राज्यों में री-इंफेक्शन के छिटपुट मामले की रिपोर्टे आई हैं लेकिन आईसीएमआर डेटाबेस के सावधानीपूर्वक विश्लेषण से पता चलता है कि इनमें से कई मामलों को वास्तव में री-इन्फेक्शन के रूप में गलत तरीके से वर्गीकृत किया गया है।

उन्होंने कहा कि सार्स-कोव-2 का डायग्नोसिस मुख्य तौर पर आरटी-पीसीआर से किया जाता है, जो मृत वायरस को भी डिटेक्ट कर लेता है। यह मृत वायरस कई बार शरीर के अंगों में हफ्तों और महीनों तक रह सकता है, जबकि वह रोगी गैर-संक्रामक होता है।

वर्धन ने यह भी तर्क दिया कि मृत वायरस का पता लगा लेने की भी आरटी-पीसीआर परीक्षण इस विशेषता के कारण पॉजिटिव रिपोर्ट आने के कुछ समय तक बाद-बाद रुककर टेस्ट किए जाते हैं। इसमें कई बार रिपोर्ट पॉजिटिव के बाद निगेटिव आती है और फिर से पॉजिटिव आ जाती है।

वर्धन ने कहा, जबकि वास्तविक पुनर्निरीक्षण का मतलब है कि एक पूरी तरह से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर में फिर से वायरस का आना।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि आईसीएमआर पुन: संक्रमित हुए मामलों की सही संख्या समझने के लिए एक अध्ययन शुरू कर रहा है। इसके परिणाम कुछ हफ्तों में साझा किए जाएंगे।

बता दें कि आईएएनएस ने पहले ही बताया था कि सार्स-कोव -2 संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने के बाद भी उसके शरीर में तीन महीने बाद तक भी वायरस रह सकता है। हालांकि, इंफेक्शन का स्तर काफी कम हो जाता है और व्यक्ति गैर-संक्रामक हो जाता है।

कोलंबिया एशिया अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. महेश लंगा ने कहा, अगर मरीज ठीक हो गया है, तब भी शरीर में अवशिष्ट विषाणु रहते हैं और पीसीआर टेस्ट को वे पॉजिटिव दिखा सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मरीज के शरीर में फिर से संक्रमण हुआ है।

एसडीजे/एसजीके

Created On :   11 Oct 2020 7:01 PM IST

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