Iran-America Relation: कभी थे साथी फिर बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें क्या हुआ था ऐसा जिससे टूटी अमेरिका और ईरान की दोस्ती?

- ईरान, इजराल और अमेरिका के बीच तनाव है जारी
- तीनों ही देश एक समय पर थे अच्छे दोस्त
- तख्तापलट के बाद दोस्ती में पड़ने लगी दरार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल और अमेरिका के बीच जंग जारी थी। इस बीच अमेरिका ने भी ईरान पर हमला किया था। अमेरिकी हमले में ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स तबाह हो गई थीं। इसकी जवाबी कार्रवाई में ईरान ने कतर की राजधानी दोहा में स्थित अमेरिका के बेस को निशाना बनाया था। ईरान की मिसाइलों से अमेरिका के बेस को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। इसके बाद दोनों देशों के बीच दुश्मनी विश्वभर में दिखने लगी थी। बता दें, अमेरिका और ईरान के बीच में हमेशा से ऐसे हालात बिल्कुल भी नहीं थे। एक समय में ईरान, इजरायल और अमेरिका तीनों ही एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त थे। यहां तक की इजरायल को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में भी ईरान शामिल था। ऐसे में सवाल ये उठता है कि, आखिर ऐसा क्या हुआ कि ईरान, अमेरिका और इजरायल के रिश्तों में दूरी क्यों आ गई?
ईरान और अमेरिका की कैसे टूटी थी दोस्ती?
ईरान एक शिया बाहुल्य देश है। ये अपने तेल और गैस भंडार के लिए जाना जाता है। इसके चलते ही अमेरिका और ईरान 19वीं सदी की शुरुआत में काफी अच्छे दोस्त थे। दूसरे विश्वयुद्ध के समय जब ब्रिटेन और सोवियत संघ ने मिलकर ईरान पर हमला किया था तब ब्रिटेन और अमेरिका की दोस्ती को जानते हुए भी ईरान ने अमेरिका के साथ अपनी दोस्ती को संभालकर रखा था। लेकिन रिश्ते में खटास तब आनी शुरू हुई, जब ईरान में तेल मिला था। उस समय ब्रिटेन ने अपनी तेल कंपनियों की मदद से ईरान में मौजूद तेल की खदानों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था। ईरान के लोग इससे बिल्कुल भी खुश नहीं थे। लेकिन उस समय पहलवी वंश के शासन की वजह से कोई कुछ भी नहीं कर पा रहा था। धीरे-धीरे ईरान की जनता ने देश में राजाशाही को खत्म करने के साथ-साथ लोकतंत्र को लाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। इसके बाद ईरान में साल 1952 में चुनाव शुरू हुए थे और मोहम्मद मुसादेग को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद ही वे ईरान के पीएम बन गए थे।
अमेरिका ने हटाया था ईरान का पीएम
जानकारी के मुताबिक, ईरान में लोकतंत्र की स्थापना से ब्रिटेन को एक बड़ा झटका लगा था क्योंकि ब्रिटेन के हाथों से ईरान की तेल की खदाने दूर हो रही थीं। अमेरिका और ब्रिटेन ईरान में लोकतंत्र को लाना तो चाहते थे, लेकिन वे ऐसी सत्ता को लाना चाहते थे जो उनकी बात सुने और माने। वहीं, मोहम्मद मोसादेग अपने जीतने के बाद तेल का राष्ट्रीयकरण करना चाहते थे, लेकिन तेल की कंपनियां ब्रिटेन की थीं और इस मुद्दे पर ही दोनों देशों के रिश्तों में दरार आना शुरू हो गई थी। ब्रिटेन किसी भई तरह से ईरान के तेल को छोड़ना नहीं चाहता था। यहां तक कि ब्रिटेन ने साल 1953 में सीआईए (अमेरिका की खुफिया एजेंसी) के साथ ईरान में तख्तापलट करके पीएम मोहम्मद मोसादेग को हटाकर शाह रजा पहलवी के हाथों सत्ता दे दी थी।
अमेरिका और ईरान के रिश्ते कब हुए खराब?
ईरान में तख्तापलट होने के बाद वहां के लोगों के अंदर अमेरिका को लेकर गुस्सा बढ़ने लगा। लोगों ने अमेरिका का कट्टर विरोध किया था। तेल पर अपना अधिकार बरकरार रखने के लिए 70 के दशक में दोनों देशों के बीच परमाणु समझौता हुआ था। इस समझौते में अमेरिका ने ईरान को तकनीक और रिसर्च दोनों मुहैया करवाई थीं। बाद में अमेरिका ने इस कार्यक्रम पर विवाद शुरू कर दिया था। साथ ही ईरान में इस्लामिक क्रांति आने के बाद दोनों देशों के रिश्ते में बदलाव आने शुरू हो गए थे। ईरान में आई इस इस्लामिक क्रांति के बाद से ही अमेरिका ने ईरान से अपने राजनयिक संपर्क खत्म कर दिए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच अब भी दुश्मनी का दौर जारी है।
Created On :   24 Jun 2025 6:37 PM IST