यूएन में पाक की खुली पोल: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को दिया करारा जवाब

- पाकिस्तान में बच्चों के साथ हुए गंभीर अपराध
- बच्चों के अत्याचार के मुद्दे से ध्यान भटका रहा है पाकिस्तान
- पाकिस्तान का यूएन में स्पीच देना घोर पाखंड है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने आज गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। भारत ने अपने पड़ोसी मुल्क पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान अपने इलाके में बच्चों के अत्याचार के मुद्दे से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान का यूएन में स्पीच देना घोर पाखंड है।
सीएएसी पर महासचिव की रिपोर्ट पाकिस्तान में सशस्त्र संघर्ष में बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघनों को दुनिया के सामने उजागर करती है। महासचिव ने स्कूलों, विशेष रूप से लड़कियों के स्कूलों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ हमलों सहित इस तरह के गंभीर उल्लंघनों में वृद्धि पर चिंता जाहिर की है।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष (सीएएसी) पर वार्षिक खुली बहस के दौरान कहा कि मैं पाकिस्तान के प्रतिनिधि की ओर से की गई राजनीति से प्रेरित बयानबाजियों को खारिज करता हूं। पाकिस्तान सीएएसी एजेंडे के गंभीर उल्लंघनकर्ताओं में से एक है। पाकिस्तान यूएन की प्रक्रियाओं पर गलत तरीके से संदेह व्यक्त कर रहा है। पाकिस्तान सोझी समझी साजिश के तहत अपने नापाक एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान अत्याचारों से ध्यान भटका रहा है।
यूएन महासचिव ने अपनी रिपोर्ट में अफगानिस्तान के साथ सीमावर्ती इलाकों में घटनाओं के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने मई 2025 में सीमावर्ती गांवों पर जानबूझकर फायरिंग की, जिसमें कई लोगों की मौत हुई कई घायल हुए। पाक को इस तरह के व्यवहार के बाद यूएन में उपदेश देना अनुचित है।
हरीश ने आगे कहा हमारी दुनिया संघर्षों और आतंकी हमलों में एक खतरनाक वृद्धि देख रही है। यूएनएसजी की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघन 25 फीसदी बढ़ गया हैं, जबकि 2024 में यौन हिंसा 35 फीसदी बढ़ गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार यह गंभीर स्थिति तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की मांग करती है। हरीश ने सभा में कहा इसलिए आज की चर्चा जरूरी और आवश्यक दोनों है। बच्चों के समग्र विकास के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना जरुरी है। बाल संरक्षण इसके लिए मौलिक है। बच्चों की की सुरक्षा, पोषण और शिक्षा को राष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा पहलगाम हमले को दुनिया नहीं भूली है।
Created On :   26 Jun 2025 11:47 AM IST