विपक्ष ने की जांच आयोग गठन की मांग: इजराइल कैबिनेट ने हमास के हमलों की जांच की मांग को किया खारिज

- नेतन्याहू सरकार को सता रहा डर
- राजनीतिक रूप से पक्षपाती जांच का विरोध
- विपक्षी नेता और पूर्व पीएम यायर लैपिड ने सरकार पर साधा निशाना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजराइल में विपक्षी नेता और पूर्व पीएम यायर लैपिड ने देश पर 7 अक्तूबर 2023 को हुए हमास के हमलों की जांच की मांग को इजराइल कैबिनेट ने खारिज कर दिया है। कैबिनेट ने हमलों की जांच के लिए राज्य आयोग गठित न करने की बात कही है। इसे लेकर विपक्षी नेताओं ने नेतन्याहू सरकार को घेरा है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जांच की मांग का विरोध करते हुए कहा कि यह राजनीतिक रूप से पक्षपाती जांच का विरोध करते हैं। आलोचकों ने नेतन्याहू पर जांच में देरी करने और इसके अधिकार क्षेत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया है। विपक्षी सांसद बेनी गैंट्ज़ ने कहा कि जनता मूर्ख नहीं है। राज्य जांच आयोग गठित न किए जाने का एकमात्र कारण जिम्मेदारी से बचने का प्रयास है। यदि आप ऐसा नहीं करने जा रहे हैं, तो कम से कम हमें शर्मनाक बहाने से तो बचिए। हालांकि सेना और इजराइल ने हमास के हमलों को लेकर जांच पूरी कर ली है। इसकी रिपोर्ट में खुफिया जानकारी की कमी और कमान के मुद्दों को हमले का जिम्मेदार बताया।
7 अक्टूबर को गाजा सीमा के पास इजराइली समुदायों पर हमास के हमलों में कम से कम 1,180 लोग मारे गए और 252 इजरायली और विदेशी बंधक बनाए गए। शेष 59 बंधकों में से 36 के मृत होने की आशंका है।
विपक्षी नेता और पूर्व पीएम यायर लैपिड ने कहा कि जांच आयोग गठित न करने का सीधा अर्थ यह है कि 7 अक्तूबर जैसी घटना बार-बार होगी। अगर जांच नहीं की जाती है तो यह कभी पता नहीं लग पाएगा कि हमास के हमलों के पीछे का कारण क्या था? हम इससे सबक नहीं ले पाएंगे और ऐसा दोबारा न हो इसके लिए कोई उपाय भी नहीं कर सकेंगे। नेतन्याहू ने मेरोन आपदा और पनडुब्बी मामले में राज्य जांच समिति की स्थापना को भी रोकने की कोशिश की। इस बार भी राज्य जांच समिति स्थापित की जाएगी।
बंधकों के परिवारों और पूर्व नेसेट सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके हमास के हमलों की जांच की मांग की थी। इसके जवाब में हाईकोर्ट ने फरवरी में सरकार को 11 मई तक जांच को लेकर जवाब देने का आदेश दिया था। बताया जा रहा है कि नेतन्याहू मंत्रिमंडल जांच को मंजूरी देने से पहले जांच आयोगों की नियुक्ति के तरीके में परिवर्तन चाहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य जांच आयोगों के पास गवाहों को बुलाने और सबूत इकट्ठा करने का व्यापक अधिकार होता है और इनका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश करते हैं। वे जांच के दायरे में आने वाले व्यक्तियों के बारे में व्यक्तिगत सिफारिशें भी शामिल कर सकते हैं, हालांकि सरकार उन पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य नहीं है।
जांच आयोग न गठित करने की मंशा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। माउंट मेरोन भगदड़ की जांच करने वाले अंतिम राज्य जांच आयोग ने घटना के लिए नेतन्याहू को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया था। वहीं सेना की जांच में सामने आया है कि सेना ने सालों तक हमास के इरादों को गलत समझा और सात अक्तूबर के करीब आते-आते हमले के बारे में खुफिया जानकारी भी नहीं मिल सकी। सेना का ध्यान ईरान और लेबनान में उसके प्रतिनिधि हिजबुल्लाह से होने वाले खतरों पर भी अधिक था।
Created On :   6 May 2025 10:04 AM IST