अमेरिका: कई पूर्व शीर्ष राजनेता और अधिकारियों ने किया ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना, पीएम मोदी को सराहा

- भारत के स्थायी तौर पर रूस-चीन के पाले में जाने की उम्मीद कम
- पीटर नवारो के बयान को किया खारिज
- अमेरिकी प्रोफेसर ने ट्रंप को बताया अज्ञानी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत पर टैरिफ लगाने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने देश में ही निशाने पर आ गए है। ट्रंप की टैरिफ नीति की कई पूर्व शीर्ष राजनेता और अधिकारी आलोचना कर चुके हैं। अब न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार एडवर्ड प्राइस ने ट्रंप नीति की तीखी आलोचना की है और साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सराहा है।
प्रोफेसर प्राइस ने पीएम मोदी को बेहद चतुर बताते हुए कहा हैं कि वे बेहद समझदारी से काम कर रहे हैं। वे बस अमेरिकियों को याद दिला रहे हैं कि उनके पास विकल्प मौजूद हैं, लेकिन वे पूरी तरह से चीन और रूस के पाले में नहीं जाएंगे। यही वजह है कि वे चीन की सैन्य परेड में शामिल नहीं हुए।
अमेरिका के पूर्व एनएसए जैक सुलीवन का कहना है कि ट्रंप अपने निजी व्यापार हितों के लिए भारत से संबंध बिगाड़ रहे हैं। ये अच्छी बात नहीं है। इस बात का समर्थन करते हुए प्रोफेसर एडवर्ड ने कहा कि पीएम मोदी बेहद चतुर हैं और वे समझदारी से कदम उठा रहे हैं। चीन में आयोजित एससीओ में पीएम मोदी, शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई गर्मजोशी भरी मुलाकात की दुनियाभर में चर्चा है। प्राइस ने कहा अमेरिका के हित भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने में हैं। अगर मैं अमेरिका की व्यापार नीति को चला रहा होता तो मैं भारत पर 50 प्रतिशत नहीं बल्कि कोई टैरिफ ही नहीं लगाता।
एडवर्ड प्राइस ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में कहा कि 'रूस का अब कोई खास प्रभाव नहीं रह गया है। पुतिन कोशिश कर रहे हैं कि जैसा सोवियत संघ का प्रभाव था, वैसा ही प्रभाव रूस का बनाया जाए, लेकिन यही पुतिन की समस्या है क्योंकि अब रूस का नहीं बल्कि दुनिया पर चीन का ज्यादा प्रभाव है और रूस भी चीन के प्रभाव का ही हिस्सा है। प्राइस ने आगे कहा कि भारत, चीन के प्रभाव का हिस्सा बनना पसंद नहीं करेगा क्योंकि भारत एक आजाद संप्रभु देश है, जिसकी अपनी सभ्यता रही है। ऐसे में उम्मीद कम है कि भारत, स्थायी तौर पर चीन के प्रभाव को स्वीकार करेगा।
प्रोफेसर प्राइस ने राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के उस बयान को भी खारिज कर दिया, जिसमें नवारो ने यूक्रेन युद्ध को मोदी युद्ध बताया था। प्राइस ने कहा कि 'नवारो को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। यह मोदी का युद्ध नहीं है, यह पुतिन का युद्ध है। ये हैरानी भरा है कि अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी इस तरह के बयानबाजी कर रहा हैं।
Created On :   3 Sept 2025 10:42 AM IST