अमेरिका का जंगी विमान वियतनाम पहुंचा, चीन के लिए हो सकती है चेतावनी 

American warships came to Vietnam,may be a warning for China
अमेरिका का जंगी विमान वियतनाम पहुंचा, चीन के लिए हो सकती है चेतावनी 
अमेरिका का जंगी विमान वियतनाम पहुंचा, चीन के लिए हो सकती है चेतावनी 

डिजिटल डेस्क,डानैंग। वियतनाम युद्ध के चार दशक बीत जाने के बाद पहली बार अमेरिकी नौसेना का विमानवाहक जहाज सोमवार को वियतनाम पहुंचा है। इस जंगी जहाज के वियतनाम पहुंचने से जहां एक तरफ पूरी दुनिया चौंक गई है वहीं दूसरी तरफ अमेरिका और चीन के रिश्तों में मनमुटाव आने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। इस यात्रा को दो पुराने दुश्मन राष्ट्रों (अमेरिका और वियतनाम)  के बीच बढ़ रही दोस्ती को और गहराई में तब्दील करने का एक अच्छा अवसर माना जा रहा है। ख़बरों के मुताबिक USS कार्ल विंसन की इस चार दिवसीय यात्रा में 5000 नाविक और चालक मौजूद हैं। 95,000 टन वजनी यह जहाज वियतनाम के डा नांग बंदरगाह से दो समुद्री मील दूर लंगर डाल सकता है, जो 1975 में समाप्त हुए युद्ध में एक प्रमुख युद्धस्थल के रूप में पहचाना जाता है।

वियतनाम ने बताया, रिश्तों में मजबूती लाना है उद्देश्य 
वियतनाम युद्ध के बाद इस जहाज को पहली बार अमेरिका ने वियतनाम भेजा है, जिसके कारण साउथ चीन सी में चल रहे विवाद की जड़ चीन से नाराजगी देखने को मिल सकती है। हालांकि अभी चीन की तरफ से इस विषय पर इस प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया नहीं मिली है। वहीं वियतनाम विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि इस जहाज के वियतनाम दौरे पर आने का उद्देश्य शान्ति, सुरक्षा, स्थिरता, विकास और आपसी सहयोग को सुनिश्चित करना है। वियतनाम विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ले थी थू हैंग ने इसे दोनों देशों के आपसी रिश्तों को मजबूती से आगे बढ़ाने का संकेत बताया है। सूत्रों के मुताबिक इस अमेरिकी जहाज के वियतनाम पहुंचने का अर्थ चीन के लिए दी गई चेतवानी बताया जा रहा है। बता दें कि चीन आये दिन साउथ चाइना सी में अपनी ताकत का प्रदर्शन करता रहता है।

अमेरिका पहले भी दर्ज करा चुका है चीनी निर्माण पर आपत्ति 
गौरतलब है कि वियतनाम युद्ध के बाद से अमेरिका और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय रिश्तों में काफी मधुरता आई है। अमेरिका काफी लम्बे समय से वियतनामी नौसेना को मजबूती प्रदान करने के लिए मदद कर रहा है। वहीं वियतनाम चीन की हरकतों से परेशान होकर अमेरिका से मदद लेता रहा है। बता दें कि हाल ही में अमेरिका ने चीन को चेताते हुए कहा था कि साउथ एशिया में पेइचिंग की दादागिरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं अमेरिका दक्षिण एशिया और प्रशांत महासागर में चीन की ताकत को कम करने के लिए हमेशा से प्रयासरत रहा है। बता दें कि चीन लंबे समय से साउथ चाइना सी में तेजी से निर्माण कार्य कर रहा है, जिसके कारण अमेरिका समेत साउथ एशिया के कई देश इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति व्यक्त कर चुके हैं। 

वियतनाम के इतिहास में छुपा है इस तकरार का कारण

वियतनाम वॉर एक ऐसी जंग थी जो उत्तरी और दक्षिण वियतनाम का साथ देने वाले सोवियत संघ और अमेरिका पर भारी पड़ी थी। ये लड़ाई कोल्ड वॉर के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच की तकरार का नतीजा थी। इस जंग में 3 लाख बेगुनाहों की मौत हुई थी। जानिए कैसे शुरू हुई थी ये जंग।  

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आखिर क्यों वियतनाम में छिड़ी जंग 

वियतनाम दक्षिण एशिया में इंडो-चाइनीज प्रायद्वीप का भाग है। 19वीं सदी से फ्रांसिसी कॉलोनी का हिस्सा बन गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान की सेना वियतनाम पर कब्जा कर चुकी थी। वियतनाम के पॉलिटिकल लीडर "हो ची मिन्ह" चीन और सोवियत संघ की कम्युनिज्म विचारधारा से काफी प्रभावित थे। उन्होंने जापानी सेना और फ्रेंच एडमिनिस्ट्रेशन से लड़ने और वियतनाम को स्वतंत्र कराने के लिए एक स्वतंत्र संघ तैयार किया।

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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान की बुरी तरह हार हुई जिसके कारण उसे अपनी सेना वियतनाम से हटानी पड़ी और वियतनाम का कण्ट्रोल फ्रेंच सम्राट बाओ दाई को सौप दिया गया। इसी मौके का फायदा हो ची मिन्ह ने उठाया और वियतनाम के उत्तरी हिस्से हनोई को राजधानी घोषित कर उस पर कब्जा कर लिया। उन्होंने इसका नाम रखा "डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ वियतनाम"। इसी के साथ हो ची मिन्ह ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। 

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लेकिन किस्सा यही खत्म नहीं होता है। फ्रांस के सम्राट बाओ ने फिर हमला किया और वियतनाम में साइगॉन पर कब्जा कर उसे अपनी राज्य की राजधानी घोषित कर दिया। उत्तर और दक्षिण वियतनाम 17वीं पैरेलल लाइन से विभाजित थे। सारे पहलुओं को देखा जाए तो ये दोनों ही विरोधी एक संयुक्त वियतनाम चाहते थे, लेकिन दोनों की विचारधारा में काफी फर्क था। हो ची मिन्ह और उनके समर्थक कम्युनिस्टों की तरह देश चलना चाहते थे और दूसरी तरफ सम्राट बाओ एक क्लोज इकॉनमी और कल्चर पश्चिमी देशों की तरह चाहते थे।  

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इस तरह से खत्म हुई जंग

सोवियत संघ और चीन उत्तरी वियतनाम में हथियार सप्लाई कर रहे थे। वियतनाम में चल रही जंग का असर यूएसए की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा था। यही वजह थी कि आखिरकार अमेरिका ने जनवरी 1973 को उत्तरी और दक्षिण  वियतनाम में शांति संधि पर हस्ताक्षर किये। जिसका मतलब था सारी शत्रुता को खत्म कर दोनों हंसी खुशी साथ रहें। आखिरकार 1975 में नॉर्थ वियतनाम ने साउथ वियतनाम पर कब्जा कर लिया। ये दोनों भाग एक साथ आ गए जिसका नाम रखा गया सोशलिस्ट रिपब्लिक ऑफ वियतनाम।  

Created On :   5 March 2018 8:45 PM IST

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