डीजल उत्सर्जन घोटाले के आरोप में ऑडी CEO रूपर्ट स्टैडलर गिरफ्तार

डिजिटल डेस्क, बर्लिन। जर्मनी की दिग्गज कार कंपनी ऑडी के CEO रूपर्ट स्टैडलर को बर्लिन में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। स्टैडलर की गिरफ्तारी डीजल गाड़ियों की प्रदूषण परीक्षण प्रणाली में घोटाला करने के मामले में हुई है। कंपनी के प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी दी है। जर्मनी के अभियोजन पक्ष ने स्टैडलर और ऑडी के एक अन्य कार्यकारी को उत्सर्जन घोटाले में धोखाधड़ी और झूठे विज्ञापन देने वाले संदिग्ध के रूप में नामित किया है।
पूछताछ के लिए रिमांड पर हैं स्टैडलर
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम पुष्टि करते हैं कि स्टैडलर को आज सुबह गिरफ्तार किया गया। उन्हें हिरासत में रखने के मामले में सुनवाई जारी है।’’ कार निर्माता ने इस मुद्दे पर चल रही जांच का हवाला देते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। ऑडी की पेरेंट कंपनी फाक्सवैगन के प्रवक्ता ने बताया है कि स्टैडलर की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेशी हुई। उन्हें पूछताछ के लिए रिमांड पर रखा गया है। बता दें कि पिछले साल पैरेंट कंपनी फॉक्सवैगन अपनी डीजल गाड़ियों के प्रदूषण स्तर को छिपाने के लिए सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की दोषी पाई गई थी। वैसा ही धोखाधड़ी का मामला अब ऑडी कार कंपनी पर भी लग रहा है।
प्रदूषण सॉफ्टवेयर में किए बदलाव
ऑडी के CEO रूपर्ट स्टैडलर ने माना था कि ऑडी ए6 और ए7 मॉडल की 60,000 कारों में प्रदूषण के स्तर को छिपाने के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि यह 60 हजार गाड़ियां उन 8 लाख 50 हजार गाडियों से अलग हैं, जिसे कंपनी ने 2017 के दौरान प्रदूषण सॉफ्टवेयर में बदलाव के लिए रिकॉल किया था। इस बात का खुलासा पहली बार सितंबर 2015 में हुआ। लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान फॉक्सवैगन ने इस बात को स्वीकार किया था कि उसने अपनी 6 लाख फॉक्सवैगन कारों में साफ्टवेयर की मदद से प्रदूषण के स्तर को छिपाने की कोशिश की है।
हालांकि फॉक्सवैगन के प्रमुख ने पूरी दुनिया से माफी मांगते हुए माना था कि उनकी कंपनी ने दुनियाभर में अपनी 1 करोड़ से ज्यादा गाड़ियों के सॉफ्टवेयर के साथ छेड़खानी कर प्रदूषण टेस्ट पास करने का प्रयास किया था। बता दें कि कंपनी द्वारा सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से कारों द्वारा किए जा रहे प्रदूषण को 40 गुना कम करके दर्शाया जाता है।
20 से ज्यादा लोगों पर संदेह
इस मामले को लेकर की गई जांच में 20 से ज्यादा लोग संदेह के घेरे में हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने यूरोप में ये कारें बेची थीं। फॉक्सवैगन के द्वारा धोखाधड़ी करने की बात कबूलने के बाद यूएस में इसके नौ मैनेजर को आरोपी बनाया गया था। इनमें फॉक्सवैगन के पूर्व CEO मार्टिन विन्टरकोर्न भी शामिल थे। विन्टरकोर्न और बाकी 4 मैनेजर जर्मनी में हैं और इनका प्रत्यर्पण होने की उम्मीद कम है। साल 2009 में हुई यूएन क्लाइमेट मीट में अमेरिका, चीन, यूरोप सहित कई बड़े देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को कम करने पर सहमति जताई थी। जिसके बाद इमीशिन (प्रदूषण) कम करने की योजना बनाई गई। अमेरिका समेत कई देशों ने गाड़ियों को लेकर नियम सख्त कर दिए थे। इतना ही नहीं नियम न मानने वाली कंपनी को भारी जुर्माना चुकाने का प्रावधान भी रखा था।
सॉफ्टवेयर की मदद से इमिशन कंट्रोल होता था
इमिशन टेस्टिंग के लिए फॉक्सवैगन ने एक अलग डिवाइस बनाई थी। यानी जब कभी फॉक्सवैगन की कारें इमिशन टेस्टिंग के लिए जाती थीं तो यह डिवाइस पॉल्यूशन को कंट्रोल कर लेती थी। इसके बाद जब भी यह कार नॉर्मल ड्राइविंग सिचुएशंस की टेस्टिंग पर जाती थी तो इमिशन कंट्रोल का सॉफ्टवेयर अपने आप बंद हो जाता था। सॉफ्टवेयर ऐसा था जो टॉर्क को कंट्रोल कर एवरेज और कार का ओवरऑल परफॉर्मेंस बढ़ा देता था। वहीं, कार्बन इमिशन को घटा हुआ बताता था। उस वक्त यह बात भी सामने आई थी कि कंपनी ने इमिशन कंट्रोल सॉफ्टवेयर के नाम पर कस्टमर्स से 7 हजार डॉलर तक अतिरिक्त लागत वसूली थी।
Created On :   18 Jun 2018 7:12 PM IST