बैंकिंग संकट से जूझ रहा अमेरिका, सिलिकॉन वैली बैंक हुआ बंद, भारतीय निवेशकों के माथे पर पड़ी चिंता की लकीरें
- सिलिकॉन वैली बैंक पर ताला डलने से लोगों में 2008 में हुए बड़े बैंकिंग फेलियर की याद ताजा हो गई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में एक बार फिर बैंकिंग संकट गहरा गया है। यहां के 16वें सबसे बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक को उसकी वित्तीय हालत देखते हुए रेगुलेटर्स ने बंद करने का आदेश दिया है। न्यूज एजेंसी रायटर्स की रिपोर्टस के मुताबिक, कैलिफोर्निया के डिपॉर्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल प्रोटेक्शन और इनोवेशन ने ये आदेश आदेश जारी किया है। इसके साथ ही बैंक की कुल 209 अरब डॉलर की एसेट्स और 175,.4 अरब डॉलर के कुल डिपॉजिट्स को जब्त कर लिया गया है।
वहीं ग्राहकों के पैसों को सुरक्षित रखने के लिए फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉपोरेशन को जिम्मेदारी सौंपी गई है। कॉर्पोरेशन को बैंक का रिसिवर भी बनाया गया है। बैंक अब 13 मार्च को खुलेगा, जिसके बाद बैंक के सभी ग्राहकों को बैंक में उनके जमा पैसे निकालने की छूट मिलेगी।
क्यों हुआ बंद
दरअसल सिलिकॉन वैली बैंक टेक कंपनियों और स्टार्टअप्स को फाइनेंशियल सपोर्ट देता है। बैंक का करीब 44 फीसदी कारोबार इन कंपनियों के साथ है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में लगातार वृद्धि होने के चलते इन सेक्टरों पर बुरा असर पड़ा है। निवेशकों को भी ये कंपनियां अपनी ओर आकर्षित करने में नाकाम रहीं, जिससे उनकी वित्तीय हालत बिगड़ती चली गई। कंपनियों की तरफ से बैंक से लिया गया कर्ज वापस नहीं किया गया, जिसका बैंक पर बुरा असर पड़ा।
2008 की याद हुई ताजा
सिलिकॉन वैली बैंक पर ताला डलने से लोगों में 2008 में हुए बड़े बैंकिंग फेलियर की याद ताजा हो गई हैं। साल 2008 में बैंकिंग फर्म लेहमन ब्रदर्स के चलते अमेरिका को इतिहास के सबसे बड़े बैंकिंग क्राइसिस से गुजरना पड़ा था। इससे न केवल अमेरिका बल्कि दुनिया के कई देश मंदी की चपेट में आ गए थे।
दरअसल, साल 2001 से लेकर 2006 के बीच लेहमन ब्रदर्स के साथ अन्य अमेरिकी बैंकों ने अपने एसेट्स से ज्यादा बहुत कम ब्याज दरों पर एस्टेट कंपनियों को जमकर लोन बांटे थे। ये लोन बिना इस सोच के साथ बांटे गए वो वापस कैसे आएंगे। इस दौरान बैंकिंग फर्मों ने जमकर मुनाफा भी कमाया। लेकिन जब इस सेक्टर में मंदी आई तो बैंकों की हालत खराब होने लगी। मंदी की वजह से कंपनियां डूबने लगी। लोन रिकवरी न होने की वजह से बैंकों पर कर्ज बढ़ गया। जिसके बाद लेहमन ब्रदर्स ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया। अमेरिका के साथ दुनिया के अधिकांश देश मंदी की चपेट में आ गए।
भारत पर पड़ेगा ये असर
सिलिकॉन बैंक के बंद होने की खबर भारत में जैसे ही सामने आई कई निवेशकों और स्टार्टअप कंपनियों के संस्थापकों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई। दरअसल, इस बैंक ने भारत की 21 स्टार्टअप में निवेश किया है। जिसमें सबसे बड़ा निवेश सास-यूनिकॉर्न आईसर्टिस में है। बीते साल अक्टूबर में बैंक द्वारा इस कंपनी में लगभग 150 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसके अलावा पेटीएम मॉल, नापतोल, कारवाले और इनमोबि समेत करीब 20 कंपनियों में बैंक ने नेवेश किया है।
अडानी-हिंडनबर्ग विवाद के बाद भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बड़ी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। सिलिकॉन वैली बैंक में निवेश करने वाली कंपनियों की शेयर में कमी दर्ज की जा सकती है।
Created On :   11 March 2023 6:59 PM IST