पेइचिंग : बड़े परिवर्तन में अंतर्राष्ट्रीय कानून : विकासशील देशों की भूमिका पर संगोष्ठी आयोजित
- 80 से अधिक विकासशील देशों के कानून विभाग के अधिकारी
- चीन स्थित दूतावासों के अधिकारी
- संयुक्त राष्ट्र
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्र कानून अदालत
- एशिया-अफ्रीका कानूनी सलाहकार संगठन आदि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों
- चीनी और विदेशी विशेषज्ञों सहित 300 से अधिक लोगों ने संगोष्ठी में भाग लिया
- बड़े परिवर्तन में अंतर्राष्ट्रीय कानून : विकासशील देशों की भूमिका शीर्षक पर संगोष्ठी 29 जुलाई को पे
चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने संगोष्ठी के नाम बधाई संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र को केंद्र बनाकर अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था विश्व शांति और विकास के लिए गारंटी बन चुकी है, जिसने विकासशील देशों की संप्रभु स्वतंत्रता और उत्थान के लिए अनुकूल माहौल मुहैया करवाया है। वर्तमान दुनिया को बड़े परिवर्तन का सामना करना पड़ रहा है। विकासशील देशों को आम सहमतियों को एकीकृत करके हाथ मिलाकर अंतर्राष्ट्रीय कानून का समादर करते हुए उसे मजबूत करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार काम करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की ²ढ़ता के साथ रक्षा करनी चाहिए, ताकि विश्व को पारस्परिक सम्मान, निष्पक्ष, न्याय, सहयोग और उभय जीत वाले सही रास्ते पर आगे बढ़ाया जा सके।
संगोष्ठी में उप विदेश मंत्री लुओ चाओहुई ने कहा, वर्तमान दुनिया में उभरी हुई गड़बड़ स्थिति ने हमें अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करने के महत्व को एक बार फिर याद दिलाया। नियम बनाना, नियम पालन करना विभिन्न देशों के सही सह-अस्तित्व का रास्ता है। दादागिरी चलाने और बल प्रयोग करने से विफल होगा। हमें अंतर्राष्ट्रीय कानून का इस्तेमाल करते हुए सही और गलत को स्पष्ट करना चाहिए, शांति की रक्षा करनी चाहिए। विकास और सहयोग को आगे बढ़ाना चाहिए। चीन का विचार है कि विभिन्न देशों को हाथ मिलाकर सहयोग करते हुए संयुक्त राष्ट्र को केंद्र मानते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा करनी चाहिए। यह मानव जाति के समान हितों से मेल खाने वाला एकमात्र सही रास्ता है।
लुओ चाओहुई ने कहा कि विकासशील देशों में एक होने के नाते चीन दूसरे विकासमान देशों के साथ घनिष्ठ सहयोग करना चाहता है। अंतर्राष्ट्रीय नियम बनाने के दौरान बहुपक्षवाद पर कायम रहते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून के ठोस कार्यान्वयन को आगे बढ़ाना चाहता है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून अदालत के प्रमुख अब्दुलकवी अहमद यूसुफ ने संगोष्ठी में कहा, एकतरफावाद आदि चुनौतियों का मुकाबले करने के लिए विभिन्न देशों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के ढांचे में ज्यादा घनिष्ठ आदान-प्रदान और सहयोग करना चाहिए।
अफ्रीकी अंतर्राष्ट्रीय कानून अनुसंधान केंद्र के प्रधान सानी मोहम्मद ने कहा कि चीन ने अफ्रीका को साथ लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में प्रवेश किया और अफ्रीका को नई अंतर्राष्ट्रीय स्थिति का भाग बनवाया। अफ्रीका अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा करने और इनका निर्माण करने के लिए चीन का आभार जताता है।
वहीं, मलेशियाई विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहमत मोहम्मद ने कहा कि चीन ने बहुपक्षवाद की रक्षा करने, अंतर्राष्ट्रीय कानून के ठोस पालन को सुनिश्चित करने और अंतर्राष्ट्रीय मुठभेड़ के शांतिपूर्ण समाधान करने आदि क्षेत्रों में बड़ी भूमिका निभाई है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर की विचारधारा ही है।
अमेरिका के शिकागो में लोयोला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जेम्स जेसी ने कहा कि कुछ देशों ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संधियों से अपना हाथ पीछे खींच लिए हैं, जिससे बहुपक्षवाद के लिए चुनौतियां पैदा हुईं। लेकिन ज्यादा से ज्यादा विकासशील देश वैश्विक शासन में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय कानून की रक्षा करने में जुटे हुए हैं।
केवल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विकास, जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जैसे मानव जाति के सामने मौजूद समान चुनौतियों का समाधान किया जा सकेगा।
(साभार-चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पेइचिंग)
-- आईएएनएस
Created On :   30 July 2019 2:30 PM GMT