चीन ने अमेरिका में होने वाली क्वाड बैठक की आलोचना की

China criticized the Quad meeting to be held in America
चीन ने अमेरिका में होने वाली क्वाड बैठक की आलोचना की
वाशिंगटन चीन ने अमेरिका में होने वाली क्वाड बैठक की आलोचना की
हाईलाइट
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डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। अमेरिका में क्वाड बैठक से पहले चीन ने आलोचना की है। बता दें कि चीन मानता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग ग्रुप बनाकर चीन के साथ साजिश की जा रही है। जिससे एक अलग गुट बनाने, चीन को एक चुनौती के रूप में पेश करने, क्षेत्र के देशों और चीन के बीच कलह पैदा करने के कुछ देशों के प्रयासों का चीन विरोध करता है।

क्वाड क्या है?
क्वाड शब्द क्वाड्रीलेटरल सुरक्षा वार्ता के क्वाड्रीलेटरल (चतुर्भुज) से लिया है। इस समूह में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत है। इसके बनाने का श्रेय वैसे तो जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को दिया जाता है, जिन्होंने 2007 में इसकी नींव रखी थी लेकिन इसके प्रयास 2004 में भारत ने अपने पड़ोसी देशों से तब की,जब 2004 में सुनामी आई थी। और भारत ने अपने पड़ोसी देशों के राहत बचाव कार्यों में मदद की थी। क्वाड की पहली चर्चा बैठक 2007 मनाली में हुई। उसी साल क्वाड देशों ने बंगाल की खाड़ी में सैनिक अभ्यास में भाग लिया था।  तब चीन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए क्वाड को बीजिंग विरोधी समूह बताया। चीन क्वाड को चार विरोधी देशों का छोटा समूह मानता है, जो उसकी बढ़ती ताकत के खिलाफ गुटबंदी कर रहे है। जिसकी पहली प्राथमिकता दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना है। हालांकि क्वाड को उस समय झटका लगा जब समूह से ऑस्ट्रेलिया अलग हो गया। 

क्वाड की नेटो से तुलना,क्या दिक्कत है चीन की?
चीन, क्वाड की तुलना कर एशियाई नेटो से पुकारता है।भारत की यात्रा पर आए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि क्वाड एशिया के नेटो में बदल रहा है। वे यहीं नहीं रुके उन्होंने भारत को क्वाड सैन्य संगठन को नाटो में बदलने के लिए अमेरिका के कदम से दूर रहने के लिए कहा था। चीन क्वाड़ को एक चुनौती के रूप में देखता है वह इस संगठन को अपने क्षेत्र के देशों और चीन के बीच विरोधाभास और कलह को जन्म देना वाला मानता है जिसका चीन विरोध करता है यह टिप्पणी चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता चुनयिंग ने की थी। उन्होंने इसका इरादा चीन के खिलाफ एक गुट तैयार करना बताया। ढ़ाका में चीन के राजदूत ली जिमिंग ने बांग्लादेश को क्वाड़ समूह में शामिल होने के विरोध में कहा था। यह बांग्लादेश और चीन के द्वीपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाएगा

ऑकस को लेकर चीन की चिंता

चीन ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते ऑकस की खूब आलोचना करता है और संकीर्ण सोच का छोटा और गैर जिम्मेदाराना हरकत बताता है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन इस संगठन को अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रलिया के शीत युद्ध की मानसिकता मानता है। ऑकस के तहत शामिल देश न्यूक्लियर पनडुब्बी की टेक्नोलॉजी को आपस में साझा करेंगे जिससे ऑस्ट्रेलिया सैन्य क्षेत्र में मजबूत बनेगा जिससे एशिया पैसेफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम किया जा सके। ग्लोबन टाइम्स के मुताबिक अमेरिका ऑस्टेलिया को सैन्य ताकत में मदद कर,उसे एशिया में अमेरिका में गार्ड डॉग की भूमिका में रखेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा था, इससे हथियारों के अंतरराष्टीय फैलने के प्रसार को रोकने के प्रयासों में कमी आएगी।

ऑकस क्या है? 
ऑकस यानी ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएस. इन तीनों देशों के बीच हुए इस रक्षा समझौते को "ऑकस" नाम दिया गया है। ऑकस में आस्ट्रेलिया, यूएस और यूके शामिल है। तीनों देशों के नाम के शुरू के अक्षर मिलाकर ऑकस शब्द बना है। जिसमें तीनों देशों के बीच रक्षा समझौते साझा होंगे। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,क्वांटम तकनीक और साइबर सुरक्षा से जुड़े तकनीको को साझा किया जाएगा।  और ऑस्टेलिया नौसेना के लिए एटम एनर्जी से संचालित पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है जिससे हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को मजबूती मिलेगी। 

क्वॉड से अलग है ऑकस?
जब ऑकस बना तो यह सवाल उठने लगा कि क्वॉड के होते हुए यूएस को इसकी आवश्यकता क्यों पड़ने लगी? जबकि क्वॉड में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया है। इस पर गजाला वहाब फोर्स मैगजीन के कार्यकारी संपादक बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताती है कि ऑकस को दो नजरिए से देखने जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्वॉड से अलग ऑस्ट्रेलिया से इस तरह का समझौते एक तरह से सैन्य एलायंस शुरू करना है। हालांकि क्वॉड को भी सैन्य सहयोग के हिसाब से बनाया था,लेकिन उसमें उच्च तकनीक ट्रांसफर की बात नहीं थी। यदि क्वॉड में इस तरह के समझौते होते तो इसका फायदा इंडिया को मिलता। इसी कारण से ऑकस बनाया है। गजाला का मानना है कि ऑकस मिलिट्री सहयोग का मंच है, जिसमें अमेरिका ब्रिटेन पहले से थे,अब ऑस्ट्रलिया को भी जोड़ लिया है। उनका मानना है कि क्वॉड देशों के साथ पूरी तरह सैन्य सहयोग बनाना जोखिम भरा हुआ है, जिसकी वजह जापान और भारत की हिचक है।

ऑकस बनने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में क्वॉड देशों का शिखर सम्मेलन आज 24 सितंबर को है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन को अपना दोस्त बताया। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा मेरे अच्छे दोस्त,प्रधानमंत्री स्कॉट म़ॉरीसन से बातचीत करना हमेशा ही अच्छा अनुभव रहता है। उनसे वाणिज्य,व्यापार,ऊर्ज औऱ अन्य क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत व व्यापक बनाने पर बात हुई। क्वाड समूह के नेताओं से पीएम मोदी ने मुलाकात की. जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा से बातचीत की। इसे लेकर मोदी ने ट्वीट किया जापान भारत के सबसे महत्वपूर्ण दोस्तों में से एक है। जापान के पीएम से साथ मुलाकात अच्छी रही. उनसे कई विषयों पर चर्चा हुई जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा. भारत औऱ जापान का सहयोग दुनिया के लिए अच्छा है। 


 

Created On :   24 Sep 2021 7:25 AM GMT

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