साउथ चाइना सी पर चीन ने तैनात किया मिसाइल सिस्टम, फिर जताया अपना हक

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। दक्षिण चीन सागर के अधिपत्य को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। चीन के एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों और सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम की इस विवादित जगह पर तैनाती ने इस विवाद को और भी गहरा दिया है। हालांकि चीन ने दावा किया है कि इस इलाके पर निर्विवाद रूप से उसी का हक है। बता दें कि एक ओर जहां चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता रहा है, वहीं वियतनाम, फिलिपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना अधिकार जताते रहे हैं।
यह हमारा अधिकार है
मिसाइल की कथित तैनाती पर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिइंग ने कहा कि "चीन का नान्शा (स्पार्टली के नाम से जाना जाता है) द्वीप और उससे जुड़े द्वीप समूहों पर निर्विवाद संप्रभुता है।" उन्होंने कहा "साउथ चाइना सी में चीन की गतिविधियां हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने के लिए है। यह हमारा अधिकार है।" एक तरह से मिसाइलों की तैनाती की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा, "तैनाती किसी भी देश के खिलाफ नहीं है। संबंधित पक्षों को इसे लेकर चिंतिति नहीं होना चाहिए।"
तेल और गैस का बड़ा भंडार है ये इलाका
ये विवादित इलाका करीब 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जो इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच आने वाले समंदर का एक हिस्सा है। इस इलाके पर कुदरत की एक अनूठी कृपा नजर आती है। कुदरती खज़ाने से लबरेज़ इस समुद्री इलाके में जीवों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। 70 के दशक में दक्षिणी चीन सागर में तेल और गैस के बड़े भंडारों का भी पता चला था। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि कुदरत के इस खजाने के लिए आगे चलकर एक बड़ा युद्ध भी हो सकता है।
2 हजार साल पुराना इतिहास
बता दें कि इस जगह का इतिहास करीब 2 हजार सालों से भी अधिक पुराना बताया जाता है। चीन के समुद्री मुसाफ़िरों नागरिकों और मछुआरों ने ही दक्षिणी चीन सागर में स्थित द्वीपों की खोज की थी। यही कारण है कि चीन लगातार यह दावा करता रहा है कि दक्षिणी चीन सागर से उसका रिश्ता क़रीब 2000 हज़ार साल पुराना है। बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध तक दक्षिणी चीन सागर पर जापान का क़ब्ज़ा था। मगर युद्ध के तुरंत बाद चीन ने इस पर अपना अधिकार जताया था।
चीन ने इस तरह बनाया अपना दबदबा
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही चीन ने दोबारा से इस इलाके पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया था। मगर आज से करीब 3-4 साल पहले ही चीन ने इस इलाके पर उसका मजबूत दबदबा कायम करना शुरू कर दिया था, जो करीब-करीब अब तक बना हुआ है। चीन ने 3 साल पहले ही इस इलाके में एक छोटी समुद्री पट्टी के इर्द-गिर्द, रेत, बजरी, ईंटों और कांक्रीट की मदद से बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य शुरू करते हुए एक बंदरगाह बनाया लिया था।
जहाज़ों को उतारने के लिए बनाई हवाई पट्टी
बंदरगाह बनाने के बाद चीन ने इस इलाके में हवाई जहाज़ों के उतरने के लिए हवाई पट्टी भी बनाई। देखते ही देखते, चीन ने दक्षिणी चीन सागर में एक आर्टिफ़िशियल द्वीप तैयार कर के उस पर सैनिक अड्डा बना लिया। आज इस इलाके में चीन के कई छोटे द्वीपों पर सैनिक अड्डे बने हुए हैं। चीन की दादागिरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन ने इस छोटे से सागर पर मालिकाना हक़ के एक अंतरराष्ट्रीय पंचाट के फ़ैसले को मानने से इनकार कर दिया है।
Created On :   3 May 2018 11:22 PM IST