चीन ने अरुणाचल के पास से गुजरने वाला 409 किमी लंबा हाईवे खोला

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। चीन ने रविवार को तिब्बत से नेपाल सीमा तक जाने वाला 409 किलोमीटर लंबे नए एक्सप्रेस-वे को आम जनता के लिए खोल दिया है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह सड़क मार्ग भारत के लिए बड़ी चिंता की वजह है क्योंकि यह तिब्बत की राजधानी ल्हासा से भारत के अरुणाचल प्रदेश के करीब से गुजरते हुए निंगची तक जाएगा। इस महत्वाकांक्षी राजमार्ग परियोजना का इस्तेमाल सिविलियल और डिफेंस दोनों ही तरह से किया जा सकेगा। सामरिक विशेषज्ञों के अनुसार राजमार्ग के चालू होने से चीन को सीमा पर रणनीतिक बढ़त मिल जाएगी।
ल्हासा से निंगची तक जाएगा राजमार्ग
409 किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग ल्हासा से निंगची तक जाएगा। इस राजमार्ग परियोजना पर 5.8 करोड़ डॉलर खर्च हुए हैं। ल्हासा तिब्बत का सबसे बड़ा शहर है। चीन ने हाल के दिनों में इस इलाके में तेजी से सड़कों और अन्य ढ़ांचागत सुविधाओं का विस्तार किया है। यह इलाका सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। सीमा पर ढ़ांचागत विस्तार से चीन को इस इलाके में रणनीतिक बढ़ मिल गई है।
भारत के लिए बन सकता है समस्या
यह राजमार्ग अरुणाचल प्रदेश के निकट से गुजरते हुए नेपाल सीमा तक जाता है। इस लिहाज से यह भारत के लिए डोकलाम गतिरोध के बाद एक नई तरह की समस्या है। राजमार्ग के बनने से चीन के लिए भारत से लगे अपने सीमावर्ती इलाकों में पहुंचना आसान हो जाएगा। जिससे उसे भारत के मुकाबले बेहतर सामरिक बढ़त हासिल हो गई है।
पर्यटन के नाम पर हो रहा विकास
चीन इस इलाके को बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहता है। यह भी एक वजह है कि वह इस इलाके में पहुंच के बेहतर साधन विकसित करने का प्रयास कर रहा है। तिब्बत धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। यही वजह है कि चीन ने दुनिया भर से ज्यादा से ज्यादा बौद्ध अनुयायियों को इलाके में लाने की योजना के तरह ढ़ांचागत सुविधाओं का विकास किया है।
चीनी सेना भी करेगी इस्तेमाल
तिब्बत में ज्यादातर सड़कें और एक्सप्रेस वे इस तरह बनाए जा रहे हैं कि समय आने पर चीनी सेना (पीएलए) भी इनका इस्तेमाल कर सके। पीएलए जल्दी में अपनी सैन्य टुकड़ियों और टैंक और तोप जैसे आयुध तैनात करने के लिए भी इस राजमार्ग का इस्तेमाल कर सकती है। इसके इस्तेमाल से वह कम समय में सीमा पर पहुंच सकेगी। यह रणनीतिक बढ़त उसके लिए किसी संभावित युद्ध की स्थिति में लाभदायक साबित होगी।
भारत-चीन के बीच 3488 किमी लगती है सीमा
भारत की 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा पांच राज्यों से चीन से लगती है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में (1,597 किलोमीटर), हिमाचल प्रदेश (200 किलोमीटर) उत्तराखंड (345 किलोमीटर), सिक्कम (220 किलोमीटर), और अरुणाचल प्रदेश (1,126 किलोमीटर) शामिल है। अरुणाचल प्रदेश की सीमा के निकट से राजमार्ग का गुजरना इसलिए भी अहम है, क्योंकि चीन भारत के इस राज्य को अपना साउथ तिब्बत बताता रहा है। वहीं, भारत का दावा है कि अक्साई चीन भारत का हिस्सा है, जिस पर चीन ने सन 1962 की जंग में कब्जा कर लिया था।
भारत ने भी शुरू की हैं विकास योजनाएं
डोकलाम विवाद के बाद से भारत ने सीमा पर ढ़ाचागत सुविधाएं विकसित किए जाने पर जोर दिया है। इसके तहत भारत जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की चीन से लगने वाली 3488 किलोमीटर सीमा में 73 सड़कों का निर्माण कर रहा है। इसमें से 804 किमी लंबी 27 सड़कें मृहमंत्रालय बना रहा है। इस परियोजना पर 1,937 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इन सड़कों के निर्माण के बाद आपात स्थिति में सीमा पर कम समय में बड़ी संख्या में सैनिकों को भेज पाना संभव हो सकेगा।
Created On :   1 Oct 2017 10:07 PM IST