डोकलाम के बाद पहली बार तिब्बत में चीन ने किया सैन्य अभ्यास

- चीनी सेना की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इकाइयों ने तिब्बत में ये अभ्यास मंगलवार को किया।
- भारत और चीन के बीच हुए डोकलाम विवाद के बाद पहली बार तिब्बत में चीन ने सैन्य अभ्यास किया।
- इस अभ्यास का मकसद सैन्य तंत्र और अस्र-शस्र समर्थन क्षमता को टेस्ट करना था।
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। भारत और चीन के बीच हुए डोकलाम विवाद के बाद पहली बार तिब्बत में चीन ने सैन्य अभ्यास किया। चीनी सेना की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इकाइयों ने तिब्बत में ये अभ्यास मंगलवार को किया। इस अभ्यास का मकसद सैन्य तंत्र और अस्र-शस्र समर्थन क्षमता को टेस्ट करना था। विश्लेषकों ने इस ड्रिल की सराहना की है। यह अभ्यास स्थानीय कंपनियों और सरकार के सहयोग से किया गया।
अगस्त 2017 में किया था अभ्यास
चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार पिछले साल अगस्त में पीएलए ने 4,600 मीटर की ऊंचाई पर 13 घंटे तक अभ्यास किया था। रिपोर्ट में इस अभ्यास को महत्वपूर्ण कदम बताते हुए नए युग में मजबूत सेना का निर्माण करने के देश के लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति बताया। तिब्बत में दलाई लामा की विरासत अब भी कायम है इसलिए स्थानीय कंपनियों और सरकार के सहयोग से किया जा रहा ये अभ्यास तिब्बत के लिए काफी अहम है।
स्थानीय सहयोग से अभ्यास इसलिए अहम
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि तिब्बत के पठार की कठिन परिस्थितियों में लंबे समय तक सेना के लिए साजोसामान और हथियार मुहैया कराना बड़ी चुनौती है। कमांड लॉजिस्टिक सपोर्ट डिपार्टमेंट के प्रमुख झांग वेनलोंग ने चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया कि विषम परिस्थितियों में सैनिकों के बचे रहने, आपूर्ति, बचाव, आपात रखरखाव और सड़क सुरक्षा में परेशानियों को हल करने के लिए सेना ने सैन्य-असैन्य एकीकरण की रणनीति अपनाई है।
मजबूत युद्ध शक्ति बनाने में मिलेगी मदद
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग ने कहा कि इतनी ऊंचाई पर लड़ाई में सबसे बड़ी चुनौती हथियार और खाने पीने सहित अन्य सामान मुहैया कराना है। उन्होंने कहा कि 1962 में चीन और भारत की लड़ाई में सेना को पर्याप्त साजोसामान मुहैया नहीं करा पाने की वजह से चीन इसका पूरा फायदा उठाने में विफल रहा था। हालांकि स्थानीय तिब्बती निवासियों ने सैनिक मुहैया कराए थे, लेकिन ये अस्थाई थे। उन्होंने कहा कि सरकार और स्थानीय कंपनियों के सहयोग से किया गया ये अभ्यास मजबूत युद्ध शक्ति बनाने में मदद कर सकता है।
Created On :   29 Jun 2018 7:12 PM IST