- यूपी: पंचायत चुनाव के लिए बीजेपी की तैयारी, 28 जनवरी से गांव-गांव करेगी चौपाल
- यूपी: नई आबकारी नीति 1 अप्रैल से होगी लागू, घर में रख सकेंगे शराब की 12 बोतल
- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिमाचल प्रदेश के निवासियों को राज्य स्थापना दिवस की बधाई दी
- जयपुर: किसानों के समर्थन में आज ट्रैक्टर रैली, शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि के बाद दिल्ली कूच
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस: पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयोग के योगदान की तारीफ की
भारत द्वारा जब्त किया गया चीनी कार्गो सैन्य सामग्री नहीं

हाईलाइट
- भारत द्वारा जब्त किया गया चीनी कार्गो सैन्य सामग्री नहीं
बीजिंग, 5 मार्च (आईएएनएस)। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लीच्येन ने भारत द्वारा जब्त किए गए चीनी कार्गो पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि संबंधित कार्गो एक चीनी निजी कारोबार द्वारा उत्पादित हीट ट्रीटमेंट फर्नेस शेल सिस्टम है, सैन्य सामग्री नहीं है, साथ ही चीन के निर्यात में पाबंदी लगाने वाली सामग्री भी नहीं है।
भारतीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) के विद्वानों ने साबित किया कि चीन के दाछ्वेइयुन नामक कार्गो जहाज में जब्त सामग्री से लंबी दूरी की मिसाइल या उपग्रह के रॉकेट इंजन बनाये जा सकते हैं। भारतीय अधिकारी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित बिल के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र को रिपोर्ट दे सकेगा और चीन व पाकिस्तान के बीच न्यूक्लियर प्रसार के संपर्क का पर्दार्फाश करेगा।
प्रवक्ता चाओ ने कहा कि एक जिम्मेदार देश होने के नाते, चीन हमेशा अंतर्राष्ट्रीय न्यूक्लियर अप्रसार का कर्तव्य निभाता है। ये कार्गो बिलकुल सैन्य सामग्री नहीं है, साथ ही चीन के न्यूक्लियर प्रसार और निर्यात की पाबंदी लगाने वाली सामग्री भी नहीं है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 के स्रोत की जांच चल रही है, इसके स्रोत का अब भी पता नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने इसे कोविड-19 नाम दिया, क्योंकि यह नाम किसी भी देश और क्षेत्र से जुड़ा नहीं है। चीनी आधिकारिक श्वसन विशेषज्ञ चोंग नानशांग ने कहा कि इस वायरस के संक्रमण का पहला मामला चीन में आया है, लेकिन इससे साबित नहीं होता कि वायरस का स्रोत चीन में ही है।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें एक साथ सूचना वायरस और राजनीतिक वायरस का विरोध करना चाहिए। कुछ मीडिया संस्थाओं ने बिना तथ्यों के कोविड-19 को चीनी वायरस कहा है, यह पूरी तरह गलत है।
कोविड-19 पूरी दुनिया के लिए एक आम चुनौती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ सहयोग कर इससे निपटना चाहिए। महामारी के बीच हमें वैज्ञानिक और तर्कसंगत सहयोग करने की जरूरत है।
(साभार-चाइना रेडियो इंटरनेशनल,पेइचिंग)
-- आईएएनएस
कमेंट करें
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।