CA के पास भारत के 7 लाख गांवों का डेटा, 15 सालों से चुनावों को कर रही है प्रभावित

डिजिटल डेस्क, लंदन। फेसबुक यूजर्स के डेटा लीक मामले की आरोपी फर्म कैंब्रिज एनालिटिका के इंडिया कनेक्शन पर विसलब्लोअर क्रिस्टोफर वाइली ने डिटेल्स शेयर कर दी है। उन्होंने कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा इंडिया में किए गए सारे प्रोजेक्ट्स की जानकारी ट्वीटर पर पोस्ट की है। इसके अनुसार कैंब्रिज एनालिटिका भारत में पिछले 15 सालों से सक्रिय थी और राष्ट्रीय चुनावों के साथ-साथ डेटा फर्म ने कई राज्यों के चुनावों में भी पार्टियों के लिए प्रोजेक्ट लिए थे। यह भी सामने आया है कि SCL ग्रुप की इस डेटा फर्म के पास भारत के 600 जिलों के 7 लाख गांवों का डेटा है।
विसलब्लोअर क्रिस्टोफर वाइली ने बुधवार को ट्वीट कर बताया, "मुझसे भारतीय पत्रकारों द्वारा लगातार SCL के भारतीय प्रोजेक्ट्स के बार में जानकारी मांगी जा रही है। इसलिए यहां मैं SCL के भारत में किए गए प्रोजेक्ट्स की कुछ डिटेल शेयर कर रहा हूं। एक प्रश्न जो बार-बार मुझसे पूछा जा रहा है, उसके जवाब में मैं कहूंगा कि हां SCL/CA भारत में काम करती है और इसके भारत में ऑफिस भी हैं।" वाइली ने SCL के इंडिया में ऑफिसेस के बारे में और कंपनी के काम करने के तरीके के बारे में भी ट्वीटर पर जानकारी साझा की है।
I"ve been getting a lot of requests from Indian journalists, so here are some of SCL"s past projects in India. To the most frequently asked question - yes SCL/CA works in India and has offices there. This is what modern colonialism looks like. pic.twitter.com/v8tOmcmy3z
— Christopher Wylie (@chrisinsilico) March 28, 2018
क्रिस्टोफर वाइली ने किए ये खुलासे :
SCL के पास 7 लाख गांवों का डेटा
वाइली ने बताया, SCL इंडिया के पास भारत के 600 जिलों और 7 लाख गांवों का डेटा है। यह डेटा लगातार अपडेट होता है। फर्म के पास जातिगत डेटा से लेकर घर-घर की जानकारी है। कंपनी की सर्विस क्लाइंट को टार्गेट ग्रुप पहचानने और उसके हिसाब से रणनीति बनाने में मदद करती है।
2012 : उत्तर प्रदेश में जाति आधारित गणना
2012 में SCL इंडिया ने उत्तर प्रदेश में जाति आधारित गणना की थी। यह प्रोजेक्ट एक राष्ट्रीय पार्टी की ओर से मिला था। सेंसस और रिसर्च के आधार पर SCL ने अपनी क्लाइंट पार्टी के लिए कोर वोटर और स्विंग वोटर की पहचान की थी।
2011 : यूपी में घर-घर जाकर जाति पता की
साल 2011 में SCL इंडिया ने उत्तर प्रदेश में एक रिसर्च अभियान के तहत घर-घर जाकर लोगों की जाति पता की थी। इसका मकसद भी क्लाइंट को अपना वोट बैंक और स्विंग वोटर के डेटा उपलब्ध कराना था।
2009 : लोकसभा चुनाव
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में SCL इंडिया ने कई उम्मीदवारों के लिए कैम्पेनिंग की। कंपनी की टीम जुटाए गए डेटा के आधार पर उम्मीदवारों के लिए रणनीति बनाती थी।
2010 : बिहार विधानसभा चुनाव
साल 2010 में SCL इंडिया ने बिहार विधानसभा चुनावों में जेडीयू के लिए वोटरों के बारे में रिसर्च की थी। इसमें कंपनी ने बिहेवेरियल रिसर्च प्रोग्राम के तहत 75% परिवारों को टार्गेट किया था। इसमें कंपनी ने अपने क्लाइंट को न केवल डेटा मुहैया कराया बल्कि चुनाव में वास्तविक मुद्दे पहचानने, जातियों को टार्गेट करने, वोटरों की सही पहचान करने और उन तक सही मैसेज पहुंचाने में भी मदद की।
2007 : उत्तर प्रदेश चुनाव
2007 में उत्तर प्रदेश चुनाव में SCL इंडिया ने एक बड़े राजनीतिक दल की ओर से पूरा राजनीतिक सर्वे किया था। इसमें बुथ लेवल पर पार्टी कार्यकर्ता की संतुष्टि का लेवल भी जाना गया था।
2007 में 6 राज्यों में रिसर्च
साल 2007 में SCL इंडिया को केरल, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में एक रिसर्च कम्यूनिकेशन अभियान चलाने का प्रोजेक्ट मिला। इस प्रोजेक्स में नॉन डिजायर विहेबियर से जिहाद को सपॉर्ट करने वाले लोगों को काउंटर किया जाना था। इस रिसर्च प्रोजेक्ट का उद्देश्य इन छह राज्यों की आबादी का जिहादियों के प्रति नजरिया समझना था।
2003 : मध्य प्रदेश चुनाव
साल 2003 के मध्य प्रदेश चुनाव में SCL इंडिया ने एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए सिफोलॉजिकल स्टडी और ओपिनियन पोलिंग के जरिए स्विंग वोटरों को पहचाने का काम किया था>
2003 : राजस्थान चुनाव
साल 2003 में SCL इंडिया को राजस्थान में एक बड़ी पार्टी ने दो काम सौंपे थे। पहला पार्टी संगठन की मजबूती का विश्लेषण करना था और दूसरा वोटरों का राजनीतिक पार्टियों के प्रति सोच का पता लगाना था।
अन्य प्रॉजेक्ट्स
SCL इंडिया ने दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भी सिफोलॉजिकल स्टडी और बिहेविरियल पोलिंग का विश्लेषण किया था।
इन जगहों पर हैं SCL इंडिया के ऑफिस
हेड ऑफिस : गाजियाबाद
रिजनल ऑफिस : अहमदाबाद, बैंगलोर, कटक, गाजियाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोलकाता, पटना, पुणे
मंगलवार को ब्रिटिश संसद में यह बोले थे वाइली
डेटा लीक मामले का खुलासा करने वाले विसलब्लोअर क्रिस्टोफर वाइली ने मंगलवार को ब्रिटिश संसद में कैम्ब्रिज एनालिटिका पर कई खुलासे किए थे। इसमें उन्होंने यह भी कहा था कि फर्म ने भारत में भी कई प्रोजेक्ट्स किए हैं। हाउस ऑफ कामंस की डिजिटल, सांस्कृतिक, मीडिया और खेल समिति के सामने अपनी गवाही देते हुए वाइली ने बताया था, "कैंब्रिज एनालिटिका फर्म का भारत में कार्यालय है। फर्म ने वहां ढेरों प्रोजेक्ट लिए। शायद भारत का प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस डेटा फर्म की क्लाइंट थी।"
क्या है कैंब्रिज एनालिटिका
कैंब्रिज एनालिटिका ब्रिटेन की एक डेटा एनालैसिस फर्म है। यह करीब 500 अरब डॉलर की कंपनी है। कैंब्रिज एनालिटिका एक सरकारी और सैन्य ठेकेदार SCL ग्रुप का हिस्सा है, जो खाद्य सुरक्षा अनुसंधान से लेकर राजनीतिक मसलों पर काम करता है। खासकर कंपनी को चुनावी डेटा खंगालने और उसका विश्लेषण करने के लिए जाना जाता है। कैंब्रिज एनालिटिका राजनीतिक और कॉर्पोरेट कस्टमर्स को उपभोक्ता अनुसंधान से लेकर, लक्ष्य आधारित ऐडवर्टाइजिंग और अन्य डेटा-संबंधित सेवाएं देती है। इस कंपनी के कई जगहों पर ऑफिस हैं, जिनमें न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, लंदन, ब्राजील और मलेशिया शामिल हैं।
क्यों लग रहे हैं काम करने के तरीके पर आरोप
कैंब्रिज एनालिटिका डेटा एनालैसिस की सफलतम फर्मों में से एक है। 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित जीत का श्रेय भी कैंब्रिज एनालिटिका को दिया जाता है। फर्म की वेबसाइट पर उसके तमाम अचीवमेंट मौजूद हैं। हालांकि फर्म के काम करने के तरीकों पर सवाल उठे हैं। फर्म पर डेटा चोरी, डेटा का दुरुपयोग और फेक न्यूज का रास्ता अपनाकर अपना टार्गेट पूरा करने के आरोप लगे हैं।
फर्म पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि उसने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स की निजी जानकारियों को अवैध तरीके से हासिल किया और फिर यूजर्स की पसंद-नापसंद के आधार पर कैंपेनिंग की। साथ ही वोटर्स की राय को मैनिप्युलेट करने का भी काम किया। बता दें कि इन आरोपों के बाद कंपनी ने अपने चीफ एक्जीक्यूटिव अलेक्जेंडर निक्स को सस्पेंड कर दिया था।
यह डेटा फर्म मतदाताओं की साइकोलॉजिकल प्रोफाइल बनाती है, जिससे चुनावों में इसके क्लाइंट को मदद मिलती है। साइकोलॉजिकल प्रोफाइलिंग के द्वारा सबसे पहले लोगों के राजनीतिक रुझान और अन्य तरह की रुचियों का पता लगाया जाता है और फिर जिस भी पार्टी के लिए उसे लोगों को प्रभावित करना है, उस पार्टी के पक्ष में उस तरह की खबरों या सूचनाओं को भेजती है जो उस व्यक्ति के रुझान से मेल खाता हो। ये खबरें झूठी, सच्ची या आधी-अधूरी भी हो सकती हैं।
Created On :   28 March 2018 6:21 PM IST