डोकलाम के करीब चीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर, भारत के लिए चिंता का विषय

- अतिक्रमण अच्छा लेकिन असफल प्रयास- रिपोर्ट
- डोकलाम के करीब चीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भारत की चिंता बढ़ाई
- भारत की सुरक्षा नीति के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन के साथ डोकलाम में चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए 13 राउंड की कूटनीतिक बातचीत हुई थी। इस पहल के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच डोकलाम पठार पर जारी गतिरोध समाप्त हो सका था। यह बात संसदीय समिति की रिपोर्ट में कही गई है। विदेश मंत्रालय संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में चीन के इस अतिक्रमण को अच्छा लेकिन असफल प्रयास बताया है। वहीं समिति ने इस इलाके में चीनी सेना के इन्फ्रास्ट्रक्चर के अब भी बने रहने पर चिंता जताई है।
भारत के लिए चिंता का विषय
भारत के सिक्किम, भूटान और चीन के त्रिकोणीय इलाके पर स्थित डोकलाम पठार में चीनी सेना के अतिक्रमण के विरोध में भारतीय सेना भी डट गई थी। इसके बाद 70 दिनों तक गतिरोध बना रहा और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं। संसदीय समिति के अनुसार यह भारत के सुरक्षा नीति के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय है। कमिटी ने यह भी कहा कि इस संबंध में चीन और भूटान के बीच 24 राउंड की बातचीत हुई थी। चीन ने भारत के मुकाबले रणनीतिक बढ़त हासिल बनाने के लिए भूटान से डोकलाम के बदले में दूसरी जगह जमीन के देने का विकल्प दिया था। हालांकि की भारत के पुराने मित्र रहे भूटान ने चीन की बजाय भारत की ओर ही रुख किया।
थरुर ने की तारीफ
इस मसले का हल निकलने के लिए सरकार के प्रयासों की तारीफ करते हुए पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने कहा कि इस इलाके में चीन की ओर से बनाए गए इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से ध्वस्त नहीं किया गया। संसदीय समिति के अध्यक्ष थरूर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डोकलाम भारत के लिए संप्रभुता का मुद्दा नहीं था क्योंकि यह इलाका भूटान का हिस्सा है, लेकिन यह नई दिल्ली के लिए सुरक्षा के लिहाज से बड़ी चुनौती था।
Created On :   18 Dec 2018 9:07 AM IST