जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे किसान संगठनों ने दी वैश्विक खाद्य संकट की चेतावनी

Farmers organizations participating in climate summit warn of global food crisis
जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे किसान संगठनों ने दी वैश्विक खाद्य संकट की चेतावनी
खाद्य संकट जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे किसान संगठनों ने दी वैश्विक खाद्य संकट की चेतावनी
हाईलाइट
  • खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति

डिजिटल डेस्क,  नई दिल्ली। मिश्र में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (सीओपी27) में सोमवार को 350 मिलियन से अधिक किसान परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने दुनिया भर के नेताओं को लिखे एक खुले पत्र में चेतावनी दी है कि अगर किसानों की आर्थिक मदद नहीं की गई और विविधतापूर्ण कृषि को बढ़ावा नहीं दिया गया तो दुनिया में खाद्य संकट पैदा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (सीओपी27) खाद्य सुरक्षा और जलवायु वित्त पर चर्चा करने के लिए 90 राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के साथ मिश्र में शुरू हुआ।

पांच महाद्वीपों के किसानों, मछुआरों, चरवाहों और वन उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करने वाले 70 से अधिक संगठनों ने विश्व ग्रामीण मंच सहित पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें अफ्रीका में खाद्य संप्रभुता के लिए 200 मिलियन छोटे कृषि उत्पादकों, 13 मिलियन सदस्यों के साथ एशियाई किसान संघ और लैटिन अमेरिका का संगठन कोर्डिनाडोरा डी मुजेरेस लिडेरेस टेरिटोरियल्स डी मेसोअमेरिका, जॉर्डन, यूके और भारत तक के राष्ट्रीय संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं।

पत्र में चेतावनी दिया गया है कि भले ही हम वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर दें वर्तमान वैश्विक खाद्य प्रणाली जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में कमजोर है। पत्र में कहा गया है कि, इस सम्मेलन की प्राथमिकता एक ऐसी खाद्य प्रणाली होनी चाहिए, जो अधिक तापमान में भी दुनिया भर की खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके।

वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए छोटे पैमाने के उत्पादक महत्वपूर्ण हैं, जो एशिया और उप-सहारा अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में भोजन का 80 प्रतिशत तक उत्पादन करते हैं। लेकिन उनको पर्याप्त वित्तीय सहायत नहीं उपलब्ध कराई जा रही। ऐसे किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने में आवश्यक अनुमानित 240 बिलियन डॉलर की तुलना में केवल 10 बिलियन डॉलर की ही मदद की गई।

इस सम्मेलन की सफलता छोटे किसानों व उत्पादकों को वित्तीय मदद बढ़ाने में ही निहित है। 2021 में ग्लासगो जलवायु शिखर सम्मेलन में धनी देशों ने ऐसे किसानों को 2025 तक 40 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष उपलब्ध कराने पर सहमति सहमति व्यक्त की थी, लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं सका है।

25 मिलियन खाद्य उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करने वाले और पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले ईस्टर्न अफ्रीका फार्मर्स फेडरेशन के अध्यक्ष एलिजाबेथ न्सिमाडाला ने कहा: हमारे संगठन के सदस्य लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध कराते हैं और हजारों को नौकरियां प्रदान करते हैं, लेकिन उनकी पर्याप्त मदद नहीं की जा रही।

जलवायु वित्त को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छोटे पैमाने के उत्पादकों के पास आने वाली पीढ़ियों को खिलाने के लिए आवश्यक जानकारी, संसाधन और प्रशिक्षण हो।

यह सम्मेलन वैश्विक खाद्य मूल्य संकट के बीच में हो रहा है। हालांकि अभी तक वैश्विक खाद्य की कमी नहीं है। अत्यधिक सूखा, बाढ़ और गर्मी ने दुनिया भर में फसल को नुकसान पहुंचाया है और वैज्ञानिकों ने दुनिया के प्रमुख खाद्य उत्पादन क्षेत्रों में एक साथ फसल के खराब होने के बढ़ते जोखिम की चेतावनी दी है।

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ने कहा है कि बदलते जलवायु में खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए विविधतापूर्ण और कम लागत वाली खाद्य प्रणाली आवश्यक है।

एशियन फार्मर्स एसोसिएशन फॉर सस्टेनेबल रूरल डेवलपमेंट के महासचिव मा एस्ट्रेला पेनुनिया, जो एशिया में 13 मिलियन किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने कहा, हर साल खाद्य उत्पादन पर सब्सिडी देने के लिए 611 बिलियन डॉलर खर्च किए जाते हैं, इसका अधिकांश हिस्सा औद्योगिक, रासायनिक व गहन कृषि पर खर्च किया जाता है। लेकिन यह नागरिकों व पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसे जारी नहीं रखा जा सकता।

पत्र में कहा गया है कि नेताओं को किसानों की बात सुननी चाहिए और अपने राजनीतिक व वित्तीय ताकत को अधिक विविध, टिकाऊ और सशक्त खाद्य उत्पादन, विशेष रूप से कृषि कृषि, मछली पकड़ने, वानिकी, पशुपालन में बदलाव के पीछे लगाना चाहिए।

34 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार होने के बावजूद, खाद्य और कृषि को जलवायु सम्मेलन में अनदेखा किया जाता है। पत्र लिखने वाले सरकारों से एक मजबूत, अधिक टिकाऊ और बेहतर खाद्य प्रणाली बनाने के लिए उनके साथ काम करने की अपील करते हैं।

वल्र्ड रूरल फोरम की निदेशक लौरा लोरेंजो ने कहा, जलवायु सम्मेलन में खाद्य और कृषि को दरकिनार कर दिया गया है और छोटे उत्पादकों की चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है। लेकिन अगर हमें अगर अपनी प्रणाली को मजबूत बनाना है, तो छोटे किसानों को भी सम्मेलन में स्थान देना होगा और उनकी बात सुननी होगी।

आईएएनएस

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Created On :   7 Nov 2022 9:30 AM IST

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