अंटार्कटिका के ग्लेशियर पिघले तो भारत के इस शहर पर बरसेगी सबसे ज्यादा आफत

डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। ग्लोबल वार्मिंग के चलते अंटार्कटिका के ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं। ग्लेशियर पिघलने से समुद्र का जल स्तर भी बढ़ता जा रहा है। इसके चलते आने वाले समय में कई तटीय शहरों के समुद्र में समा जाने का खतरा है। इन सब के बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक ऐसी तकनीक विकसीत की है, जिसकी मदद से यह पता लगा पाना संभव होगा कि ग्लेशियर पिघलने से विश्वभर के किन-किन शहरों को नुकसान पहुंचेगा।
यह तकनीक पृथ्वी के घूमने और गरुत्वाकर्षण बल को देखते हुए यह बताएगी कि ग्लेशियर के पिघलने के बाद दुनिया के किस तटीय शहर में समुद्र का कितना पानी जाएगा। इस तकनीक का नाम ग्रेडिअंट फिंगरप्रिंट मैपिंग (GFM) है। इस तकनीक के माध्यम से पता लगाया गया है कि ग्लेशियर पिघलने से भारत के एक शहर पर भी जमकर आफत बरसेगी। भारत के इस शहर का नाम मंगलुरू है।
इस तकनीक का इस्तेमाल अभी तक 293 प्रमुख तटीय शहरों पर किया गया है। भारत के भी कुछ शहरों पर यह तकनीक यूज़ की गई, जिसमें पाया गया कि ग्लेशियर पिघलने से भारत में सबसे ज्यादा नुकसान कर्नाटक के मंगलुरु शहर को होगा। अंटार्कटिक के ग्लेशियर और ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर पिघलने से मंगलुरु पर जमकर आफत बरसेगी। GFM के जरिए पाया गया है कि मंगलुरू में खतरे का स्तर मुंबई और न्यूयॉर्क जैसे शहरों से भी कहीं ज्यादा होगा। शोधकर्ताओं ने इस तकनीक से मिले डेटा के आधार पर मंगलुरु को काफी संवेदनशील बताया है।
नासा के सीनियर वैज्ञानिक एरिक इविन्स ने इस तकनीक पर बताया कि यह टूल किसी भी तटीय शहर के लिए खतरे के स्तर का सटीक अनुमान लगा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस टूल की मदद से दुनियाभर के देशों को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि किन ग्लेशियरों के पिघलने को लेकर उन्हें ज्यादा चिंता करना होगी।
Created On :   16 Nov 2017 11:09 PM IST