गूगल CEO सुंदर पिचाई ने दी सफाई, कहा-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी नहीं बनाएंगे

Google stopped the Artificial Intelligence Technique for weapons
गूगल CEO सुंदर पिचाई ने दी सफाई, कहा-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी नहीं बनाएंगे
गूगल CEO सुंदर पिचाई ने दी सफाई, कहा-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी नहीं बनाएंगे
हाईलाइट
  • गूगल के स्टाफ के विरोध पर अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन का ड्रोन प्रोजेक्ट रोका गया।
  • गूगल सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी विकसित नहीं कर रही।
  • मेवन परियोजना के साथ काम करना बंद कर रहा है गूगल
  • यह चित्रों के विश्लेषण आधारित परियोजना है।

डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुरुपयोग को लेकर गूगल ने सफाई दी है। कंपनी के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक ब्लॉगपोस्ट में लिखा है कि कंपनी ऐसी कोई टेक्नोलॉजी विकसित नहीं कर रही है। वह हथियारों में काम आने वाली एआई टेक्नोलॉजी पर काम नहीं करेगी। जिनका उद्देश्य लोगों को चोट पहुंचाना हो सकता है। पिचाई ने लिखा है कि कंपनी अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकार्य नियमों का उल्लंघन करते हुए निगरानी के लिए सूचनाओं के इस्तेमाल वाली टेक्नोलॉजी नहीं बनाएगी।

 

मेवन परियोजना में काम नहीं करेगी कंपनी

उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि "हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हथियारों के इस्तेमाल के लिए एआई का विकास नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम अनेक अन्य क्षेत्रों में सरकार और सेना के साथ काम करते रहेंगे। बता दें कि गूगल की अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की एक परियोजना में शामिल होने को लेकर काफी आलोचना हो रही है। कंपनी ने हाल ही में कहा था कि वह रक्षा विभाग की मेवन परियोजना के साथ काम करना बंद कर रही है। 

 

युद्ध कारोबार से कोई नाता नहीं

मेवन परियोजना चित्रों के विश्लेषण की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित परियोजना है, जो ड्रोन हमलों को और सटीक बना सकती है। कंपनी के हजारों कर्मचारियों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर भी किए, जिसके अनुसार यह गूगल के नैतिकता संबंधी सिद्धांतों के खिलाफ है। पत्र में कहा गया है कि गूगल को युद्ध कारोबार में सम्मलित नहीं होना चाहिए। गूगल सरकार और सेना के साथ साइबर सिक्योरिटी, ट्रेनिंग, सेना भर्ती, हेल्थकेयर और सर्च व सचाव कार्य संबंधी कार्यक्रमों में काम करती रहेगी।" 

 

क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या मशीनी मानव की भूमिका हकीकत के धरातल पर आने में दशकों या सदियों लग सकते हैं, हाल ही के सालों में जिस तरह से इसका विकसित हुआ है, उससे लगता है कि यह कई तरीकों से हमारे आसपास पहुंच चुका है। दुनियाभर के वैज्ञानिक और इनोवेटर पिछले कई दशकों से एक ऐसा कंप्यूटर विकसित करने में जुटे हैं, जो इंसान की तरह सोच सके।

मैकेनिकल प्रोसेस, एल्गोरिथम और संबंधित नेटवर्क्‍स को इसके लिए सक्षम बनाया जा रहा है। 

मशीनी प्रक्रिया के बेस पर कृत्रिम बौद्धिक चेतना विकसित की जा रही है, जिसे हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नाम से जानते हैं। 

कई बड़ी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काफी आगे निकल चुकी हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इसका कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास होने से रोबोट्स को सोचने-समझने की क्षमता मिल रही है।   

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मानव के अस्तित्व को खतरा पैदा हो सकता है।  

Created On :   9 Jun 2018 12:24 AM IST

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