Nepal: राष्ट्रपति ने नई सरकार के गठन का आह्वान किया, एक्सपर्ट्स ने इसे असंवैधानिक कदम बताया
- संवैधानिक मामलों के एक्सपर्ट्स ने इसे असंवैधानिक कदम बताया
- केपी शर्मा ओली 10 मई को सदन में विश्वास मत हार गए थे
- नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नई सरकार के गठन का आह्वान किया
डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने गुरुवार को संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के तहत एक नई सरकार के गठन का आह्वान किया। संवैधानिक मामलों के एक्सपर्ट्स ने इसे असंवैधानिक कदम बताया है। बता दें कि ओली 10 मई को सदन में विश्वास मत हार गए थे। बाद में उसी शाम राष्ट्रपति भंडारी ने नेपाल के राजनीतिक दलों से बहुमत के वोटों के आधार पर गठबंधन सरकार बनाने का आह्वान किया था।
जब विपक्षी दल बहुमत के वोट हासिल करने में विफल रहे और गठबंधन सरकार बनने का रास्ता नहीं बन पाया तो 13 मई की शाम को राष्ट्रपति ने ओली को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया, जो सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं। अब ओली को संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, एक महीने के भीतर फिर से सदन में विश्वास मत हासिल करना था।
लेकिन गुरुवार को एक कैबिनेट बैठक में विश्वास मत की मांग के बिना ही राष्ट्रपति से संविधान के अनुच्छेद 76 (5) को लागू करने की सिफारिश की गई। संविधान के अनुच्छेद 76(5) के अनुसार, यदि कोई सदस्य ऐसा आधार प्रस्तुत करता है, जिस पर वह प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत प्राप्त कर सकता है, तो राष्ट्रपति ऐसे सदस्य को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त कर सकता है। राष्ट्रपति ने शुक्रवार शाम 5 बजे की समय सीमा तय की है।
नेपाल की संसद में सबसे बड़ी पार्टी के.पी. ओली नेतृत्व की पार्टी है जिसके पास कुल 120 सांसद हैं, जबकि नेपाली कांग्रेस के पास 61, माओवादी के पास 48 और जनता समाजवादी पार्टी के पास 32 सांसद हैं। 10 मई को सदन में मौजूद 232 सांसदों में से 93 वोट ओली के पक्ष में गए थे, जबकि 124 वोट उनके खिलाफ पड़े थे। 15 सांसद न्यट्रल रहे थे। विश्वास मत हासिल करने के लिए 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में कम से कम 136 वोट चाहिए थे, क्योंकि चार सदस्य अभी निलंबित हैं।
सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) में सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल (प्रचंड), माधव कुमार नेपाल और झाला नाथ खनाल जैसे वरिष्ठ नेता पीएम ओली पर न केवल सरकार बल्कि पार्टी को भी अपने मन मुताबिक चलाने के आरोप लगाते रहे थे। वास्तव में ओली और प्रचंड की पार्टियों ने सरकार बनाने के लिए गठबंधन किया था और दोस्ती की मिसाल यह थी कि सरकार बनते ही दोनों पार्टियों का विलय हो गया था। लेकिन यह दोस्ती ज़्यादा वक्त नहीं चली।
Created On :   20 May 2021 10:46 PM IST