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इमरान खान ने कश्मीरी आतंकवादी गुटों के समर्थन से किया इंकार

प्रधानमंत्री खान ने गुरुवार को वरिष्ठ पत्रकारों के एक समूह को बताया, खतरा बहुत वास्तविक है। ऐसी स्थिति में हमें जवाब देना होगा। हमने इस तरह से देशों के बीच युद्ध शुरू होते हुए देखा है।
उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश ने ही भारत को अपने संविधान के अनुच्छेद-370 को रद्द कर विशेष राज्य कश्मीर पर जल्द से जल्द निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया है।
खान ने कहा, हमने भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की है। मगर उन्होंने (नरेंद्र मोदी की सरकार) स्थिति का फायदा उठाया। उन्होंने पुलवामा हमले का उपयोग अपने चुनावों के लिए किया। उन्होंने हमें फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ब्लैक लिस्ट किए जाने की पैरवी की है।
खान ने कहा कि मोदी हिटलर के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उसी रणनीति का अनुसरण कर रही है जो नाजियों ने जर्मनी में अपनाई थी। वे ऐसा भारत चाहते हैं जो केवल हिंदुओं के लिए हो और कश्मीर में नरसंहार को अंजाम दिया जाए।
इमरान खान ने कहा कि कश्मीर के लिए भारत सरकार द्वारा उठाया गया कदम किसी को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की हिंदुत्व विचारधारा या हिंदू वर्चस्व से प्रेरित है। यही वजह है कि ईसाई और मुस्लिमों को आक्रमणकारी बताया जाता है।
प्रधानमंत्री खान ने कहा कि कश्मीर में कर्फ्यू हटाए जाने के बाद कड़ी प्रतिक्रिया होगी। हालात काफी गंभीर हैं और भारत ने कश्मीर पर अपना आखिरी कार्ड खेला है। इसके बाद उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।
खान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पूछा कि क्या उनके पास कश्मीर में हो रहे जनसंहार रोकने का नैतिक साहस है? उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया यह देखना चाह रही है कि भारतीय शासन द्वारा कर्फ्यू हटाए जाने के बाद घाटी में क्या होगा।
खान ने ट्वीट किया, क्या कश्मीर में कश्मीरियों के खिलाफ अधिक सैन्य बल का उपयोग करके भाजपा सरकार को लगता है कि यह स्वतंत्रता आंदोलन को रोक देगा? संभावना है कि इससे इसे और गति मिलेगी।
--आईएएनएस
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