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जेएनयू में पढ़े अभिजीत को अर्थशास्त्र का नोबेल, 1998 के बाद सम्मान पाने वाले पहले भारतीय
हाईलाइट
- अभिजीत बनर्जी, एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
- यह पुरस्कार 'वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग' के उनके शोध के लिए दिया गया है
- अभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री है
डिजिटल डेस्क, ओस्लो। अभिजीत बनर्जी, एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर ने सोमवार को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीता। तीनों को यह पुरस्कार 'वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग' के उनके शोध के लिए दिया गया है। इकनॉमिक साइंसेज कैटिगरी के तहत यह सम्मान पाने वाले अभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री है। 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया। अभिजीत से पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को 1998 में यह सम्मान दिया गया था।
अभिजीत बनर्जी ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से पढ़ाई की है। एस्थर डुफलो अभिजीत की पत्नी है। अर्थशास्त्र में नोबेल जीतने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला भी बन गई हैं।
BREAKING NEWS:
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 14, 2019
The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrizepic.twitter.com/SuJfPoRe2N
अभिजीत बनर्जी का जन्म 1961 में हुआ था। अभिजीत ने 1981 में यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता से बीएससी के बाद 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद1988 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कैम्ब्रिज, यूएसए से पीएचडी की उपाधि ली। वर्तमान में वह मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं। अभिजीत ने कई किताबें भी लिखी है। उनकी पहली किताब वोलाटिलिटी एंड ग्रोथ थी जो 2005 में आई थी। तब से लेकर आज तक अभिजीत बनर्जी ने कुल सात किताबें लिखी हैं, लेकिन इन्हें प्रसिद्धि मिली 2011 में आई इनकी किताब पूअर इकोनॉमिक्सः ए रेडिकल रीथीकिंग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी
अभिजीत की पत्नी एस्थर डुफलो भी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स की प्रोफेसर हैं। फ्रांसीसी मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री डिफ्लो ने हिस्ट्री और इकनॉमिक्स से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने 1994 में पैरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (तब DELTA नाम से जाना जाता था) से मास्टर डिग्री हासिल की। 1999 में उन्होंने MIT से इकनॉमिक्स में PhD किया। MIT में उन्होंने अभिजीत बनर्जी की देखरेख में ही अपनी PhD पूरी की क्योंकि बनर्जी इसके जॉइंट सुपरवाइजर थे। दोनों में प्रेम हुआ और दोनों एक साथ रहने लगे। 2015 में दोनों ने औपचारिक तौर पर शादी कर ली।
माइकल क्रेमर हावर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है। नोबेल पुरस्कार की 9 मिलियन डॉलर की राशि तीनों अर्थशास्त्रियों के बीच बराबर-बराबर बांटी जाएगी। अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा करते हुए रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने अपने बयान में कहा कि तीनों अर्थशास्त्रियों ने अपने प्रयोगों से डेवलेपमेंट इकोनोमिक्स को पूरी तरह से बदल दिया है और अब यह रिसर्च का एक क्षेत्र बन गया है।
भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता
- रवींद्रनाथ टैगौर (साहित्य) 1913
- चंद्रशेखर वेंकटरमन (विज्ञान) 1930
- मदर टेरेसा (शांति) 1979
- अमत्य सेन (अर्थशास्त्र) 1998
- कैलाश सत्यार्थी (शांति) 2014
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