मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति की गुहार, लोकतंत्र की बहाली का नेतृत्व करे भारत

डिजिटल डेस्क,मालदीव। मालदीव में गहराते राजनीतिक संकट के बीच पूर्व उपराष्ट्रपति जमील अहमद ने भारत से मदद की गुहार लगाई है। रविवार को अहमद ने कहा कि मालदीव में शांति स्थापित करने में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व भारत को करना चाहिए।
गौरतलब है कि मालदीव में राजनीतिक संकट गहराता ही जा रहा है। देश में आपातकाल की अवधि को बढ़ा दिया गया है। देश में स्थिति के नहीं सुधरने के चलते पूर्व उपराष्ट्रपति जमील अहमद ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मेरी राय है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मदद के लिए आना चाहिए। मेरा मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत लीगल मेकेनिज्म का पालन करते हुए भारत को मालदीव में लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रयास करने चाहिए। अहमद ने कहा कि मालदीव में शांति स्थापित करने में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व भारत को करना चाहिए। बता दें कि मालदीव में आपातकाल को 30 दिन बढ़ाए जाने पर भारत ने नाराजगी जताई थी। भारत ने कहा था कि इसका कोई कारण नहीं बनता है।
5 फरवरी से मालदीव में इमरजेंसी
5 फरवरी को मालदीव के प्रेसिडेंट अब्दुल्ला यामीन ने 15 दिन के लिए इमरजेंसी का एलान किया था। प्रेसिडेंट ऑफिस की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि "मालदीव के अनुच्छेद 253 के तहत अगले 15 दिनों के लिए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम ने इमरजेंसी का एलान कर दिया है। इस दौरान कुछ अधिकार सीमित रहेंगे, लेकिन सामान्य हलचल, सेवाएं और व्यापार इससे बेअसर रहेंगे।" बयान में आगे कहा गया है, "मालदीव सरकार यह भरोसा दिलाती है कि देश के सभी नागरिकों और यहां रह रहे विदेशियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।"
पूर्व राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस हुए गिरफ्तार
मालदीव में इमरजेंसी लगने के बाद पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम और चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद को गिरफ्तार कर लिया गया था। गयूम मालदीव के 30 साल राष्ट्रपति रहे हैं और 2008 में देश में लोकतंत्र आने के बाद तक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद हुए चुनावों में मोहम्मद नशीद डेमोक्रेटिक तरीके से चुने गए देश के पहले राष्ट्रपति बने। अब वे श्रीलंका में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद ने ही राजनैतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था। बता दें कि राष्ट्रपति यामीन, मौमून अब्दुल गयूम के सौतेले भाई हैं
अब्दुल्ला यामीन के आते ही लोकतंत्र खतरे में
मालदीव में 2008 में डेमोक्रेसी आई थी और मोहम्मद नशीद डेमोक्रेटिक तरीके से चुने गए देश के पहले राष्ट्रपति हैं, लेकिन साल 2013 में राष्ट्रपति यामीन की सत्ता में आने के बाद से ही वहां विपक्षियों को जेल में डाला जाने लगा, बोलने की आजादी छीन ली गई और ज्यूडीशियरी पर भी खतरा पैदा हो गया। 2015 में यामीन ने नशीद को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत सत्ता से हटा दिया था। उन्हें 13 साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद ब्रिटेन ने उन्हें राजनीतिक शरण दी थी।
Created On :   25 Feb 2018 11:03 AM IST