खालिदा जिया और उसका बेटा मुझे मारना चाहते थे : हसीना

Khaleda Zia and her son wanted to kill me: Hasina
खालिदा जिया और उसका बेटा मुझे मारना चाहते थे : हसीना
खालिदा जिया और उसका बेटा मुझे मारना चाहते थे : हसीना

ढाका, 21 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शुक्रवार को कहा कि बीएनपी नेता खालिदा जिया ओर उनके बड़े बेटे तारीक रहमान ढाका में 2004 को हुए ग्रेनेड हमले में उन्हें मारना चाहते थे।

हसीना का ये बयान 21 अगस्त 2004 को हुए हमले की 16वीं बरसीं के अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए आया है। हमला ढाका के बंगबंधु ऐवन्यू में आवामी लीग द्वारा आयोजित आतंकवादी-रोधी रैली में किया गया था।

हमले में 24 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें मोहिला आवामी लीग की तत्कालीन अध्यक्ष और दिवंगत राष्ट्रपति जिल्लुर रहमान की पत्नी इवी भी शामिल थीं। हमले में 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

उन्होंने कहा, खालिदा जिया और उसका बड़ा बेटा तारिक रहमान बंगबंधु ऐवन्यू में ग्रेनेड हमले में मुझे मारना चाहते थे। यह रैली सिलहट में तत्कालीन ब्रिटिश उच्चायोग में बम हमले और देश में अन्य 500 से ज्यादा जगहों पर हुए हमलों के विरोध में आयोजित की जा रही थी।

उन्होंने कहा, मैं उनका मुख्य टारगेट थी।

हसीना ने कहा, बम हमले के पहले, उन्होंने कहा था कि आवामी लीग 100 सालों के लिए सत्ता में आने में सक्षम नहीं होगी।

प्रधानमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि हत्याएं करवाना उनकी आदत है, क्योंकि वे देश की आजादी और लिबरेशन वार स्पिरिट में विश्वास नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा कि सत्ता उनके लिए भ्रष्टाचार के जरिए पैसे कमाने का औजार है।

2004 के जघन्य हमले को याद करते हुए, हसीना ने कहा कि तत्कालीन बीएनपी-जमात सरकार ने आतंकवादियों को एकत्रित किया और इस तरह के हमले के लिए प्रशिक्षण दिया और साथ ही आतंकवादियों को विदेश भाग जाने की सुविधा मुहैया कराई।

उन्होंने कहा, तत्कालीन बीएनपी-जमात सरकार को लगा कि मैं ग्रेनेड हमले में मर जाऊंगी, लेकिन जब उन्हें पता चला कि मैं बच गई, उन्होंने आतंकवादियों को यहां से भागने की इजाजत दी।

हमले के बाद, पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और आवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बचाने के बदले उनपर लाठियां बरसाईं।

हसीना ने कहा कि यहां तक कि बीएनपी-जमात समर्थित डॉक्टरों ने ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में घायलों का इलाज नहीं किया और साथ ही किसी पीड़ित को बंगबंधु शेख मुजीबर मेडिकल यूनिवर्सिटी में जाने की इजाजत नहीं दी गई, क्योंकि उसे बंद कर दिया गया था।

हमले में तत्कालीन विपक्षी नेता हसीना बाल-बाल बच गईं थीं, लेकिन इससे उनके सुनने की क्षमता में असर पड़ा था।

शुक्रवार को इसके अलावा 1971, 1975 और 2004 में मारे गए लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखा गया।

आवामी लीग के महासचिव उबैदुल कादर ने बैठक में स्वागत भाषण दिया।

आरएचए/एएनएम

Created On :   21 Aug 2020 12:00 PM GMT

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